Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 94
________________ उसकी चिंता मनुष्य के स्वप्न के रूप में प्रतिबिंब बन कर उसका पीछा नहीं छोड़ती। वह उसके पीछे लगी रहती है। आप न बीते की सोचें और न ही भविष्य की सोचें, केवल वर्तमान के साक्षी बनें, वर्तमान के अनुपश्यी बनें। वर्तमान में जो जैसी स्थिति है, उसका सामना करें। जो कल देगा वह कल की व्यवस्था भी करेगा। हमने हमारी व्यवस्था जो कल के लिए संजो कर रखी है, उनका क्या होगा? जब ऊपर वाले के बहीखाते में हमारा कल का दिन लिखा हुआ ही नहीं है तब कल के लिए बनाई गई व्यवस्थाएँ भी उपयोगी नहीं बन पाएँगी। . मेरे जिगर में एक बात बहुत विश्वास से जमी है कि बच्चा जन्म बाद में लेता है लेकिन माँ का आँचल दूध से पहले ही भर जाता है। जब हमारे जन्म के साथ ही जिंदगी की व्यवस्थाएँ शुरू हो जाती हैं तब व्यक्ति जिंदगी की व्यवस्थाओं को लेकर चिंतित क्यों हो? सन्तुष्ट रहें! आज जो जैसी स्थिति मिली है, जितना धन मिला है, जिन लोगों के बीच रहने का प्रसंग मिला है, उतने अवसरों को देखते हुए उनसे उतने ही सन्तुष्ट रहें। वे अगर बेहतर बनाए जा सकते हों, तो जरूर बनाएँ। कम-से कम चिंता और असंतोष की आग में तो नहीं झुलसें। अगर कोई मुझसे पूछे कि जिंदगी में मन की शांति पाने का बीजमंत्र क्या है, तो मैं कहूँगा कि मन में रहने वाली संतुष्टि से ही शांति का जन्म होता है। शांति और संतुष्टि सदा निश्चिंतता से आती हैं। जब जिसे जहाँ होना होगा, वह स्वतः ही हो जाएगा। ___ आप लोगों ने एक पुरानी कहानी सुनी होगी। एक राजा था। संयोगवश राजा के हाथ की अंगुली कट गई। उसने अपने वजीर से कहा कि आज तो मेरे हाथ की अंगुली कट गई।' वजीर ने कहा, 'महाराज, चिंता मत करो। जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है।' राजा क्रोधित हो गया। उसने कहा, 'एक तो मेरी अंगुली कट गई और ऊपर से यह वजीर कहता है, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।' वजीर को कैदखाने में डाल दिया गया। जीवन में अपनाएँ निश्चितता का नज़रिया ९३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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