Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 73
________________ जाए तो खुद को भयभीत पाता है और इस भय के कारण व्यक्ति के दिमाग पर जो प्रतिक्रिया पैदा होती है, उसी के परिणामस्वरूप तनाव का जन्म होता है । बात खींचने पर बढ़ती है, रस्सी खींचने पर टूटती है । सिगरेट का कश लगाने पर वह छोटी होती है, ऐसे ही आदमी अपने दिमाग को जितना खींचेगा, जितने उसे रगड़ लगेंगे, आदमी का तनाव उतना ही बढ़ेगा। भला जब ईश्वर ने हमें बुद्धि दी है तो हम अपनी बुद्धि को तनाव के कारण क्यों जलाएँ? मनुष्य का मस्तिष्क एक तरल पदार्थ के भीतर सुरक्षित रहता है जैसे पानी तालाब में रहता है । पर अगर पानी सूख जाए तो सरोवर की मिट्टी की कैसी दशा होती है? सूखे हुए तालाब की मिट्टी में दरारें पड़ जाती हैं, ऐसे ही तनाव, अवसाद, चिंता से घिर चुके मनुष्य का दिमाग भी तालाब की सूखी मिट्टी की तरह दरारों में बंट जाता है। तनाव विफलता का परिणाम होता है और विफलता तनावग्रस्त मानसिकता का परिणाम है । जैसे कोई आईना टूटने के बाद चेहरा देखने के काबिल नहीं रहता वैसे ही जो व्यक्ति तनाव से घिरा है, वह भी टूटे हुए आईने की तरह हो जाता है । लगातार तनाव से घिरे रहने के कारण उसके पास न तो प्रेम टिकता है, न शांति फटकती है, न उसे कोई सुकून मिलता है, न उसे खाने का आनंद आता है और न वह जीने का लुत्फ उठा पाता है। I वह अपने आप में कुछ नहीं कर पाता । उसे सिर्फ डॉक्टर और दवाखाना ही दिखाई देता है । जो व्यक्ति अपने जीवन में तनावों से बचने के गुर, बचने के तरीके आत्मसात् कर लेता है वह न्यूरो की हर बीमारी पर विजय प्राप्त कर लेता है । जब तक धरती पर रहने वाले लोग अपने जीवन के साथ तनाव को जोड़े हुए रखेंगे तब तक डॉक्टर की, सुबह की गई हर प्रार्थना सार्थक होती रहेगी क्योंकि मरीजों की फीस से ही उसका धंधा चलता है । तनाव छोड़ने जैसा है। जिनके पास तनाव है उनके पास शांति नहीं है । कोई भी पक्षी जो चाहे तोता, चिड़िया या कबूतर हो, वे ऐसी किसी डाल पर बैठना पसंद नहीं करते जिस डाल के नीचे आग लगी हो या जिस पेड़ की शाखाएँ आग से झुलस रही हों । I ७२ Jain Education International आपकी सफलता आपके हाथ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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