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जब आप शाम को अपने घर पहुँचते हैं तो सबसे पहले अपने बदन पर पहने हुए कपड़े उताकर खूटी पर टाँग देते हैं और लुंगी-बनियान पहनकर अपने आपको हल्का महसूस करते हैं। हम ऐसे ही जब घर पहुँचते हैं तो देखते हैं कि कुछ चीजें बिखरी हुई हैं। हम अपने बच्चों से कहते हैं कि सामान सजाओ, ठीक-ठिकाने पर रखो। इसी तरह हमको याद हो आती है कि हमारी जेब में भी कुछ फालतू के कागज या कचरा टाइप का पड़ा है। जब हम उस कागज-कचरे को तथा खाली पाउच या फाइल में रखे हुए कुछ पुराने व्यर्थ के बिल को निकालकर रद्दी की टोकरी में फेंक देते हैं तब हमें बड़ा हल्कापन महसूस होता है। मैं कहूँगा कि जब हम अपने घर पहुँचें तो घर के भीतर बाद में प्रवेश करें पहले घर के बाहर कचरा डालने का जो डिब्बा हमने रखा है, दो मिनिट के लिए उसके पास जाएँ। हम यह देख लें कि जेबों में कहाँ-कहाँ, कौन-सा रद्दी कागज पड़ा है? हम उसे निकालें और उन्हें वहीं फेंक दें। जब आप रद्दी कागज फैंकें तो मेहरबानी करके एक काम और करें। आपके पास कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें कि आपको रद्दी कागजों के साथ निकालकर फेंक देना चाहिए और वह है आपके दिमाग की जेब में भरी हुई कुछ-कुछ बातें, कुछ-कुछ चिड़िचिड़ापन, कुछ-कुछ उत्तेजना, कुछ-कुछ गुस्सा, कुछ-कुछ तनाव और चिंता जो आप अपनी दुकान से अपने साथ ले आए हैं। दिमाग की जेब में ऐसी ये जो कुछ-कुछ चीजें भरी रहती हैं, उन्हें निकालकर फेंक दें। क्योंकि वे भी रद्दी कागज की तरह हैं, व्यर्थ के पाउच हैं।
सावधान ! व्यवसाय के तनाव कहीं आपके घर को तनावग्रस्त न बना दें। अपने दफ्तर, दुकान के तनाव आपके घर में न पहुँच जाए और उन तनावों का बोझा कहीं आपकी पत्नी को, आपके बच्चों को न झेलना पड़े। अमूमन ऐसा ही होता है कि आदमी अपनी दुकान का गुस्सा बीबी पर निकालता है, बीबी तब अपना गुस्सा बच्चों पर निकाला करती है। कुछ-कुछ व्यर्थ की चीजें हमारे दिमाग में भरी पड़ी हैं। इन 'कुछ-कुछ' चीजों को अपने माथे की जेब से निकालकर कचरा-पेटी में फेंक दें। जब घर में प्रवेश
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आपकी सफलता आपके हाथ
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