Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 79
________________ • हर कार्य को पूरे सलीके और पूर्ण उत्साह से कीजिए कि अगर कहीं स्वर्ग के देवता भी उसे देख लें तो तारीफ कर उठें। सलीके से काम करो । बहुत काम खराब ढंग से करने के बजाय थोड़े से काम अच्छे ढंग से करना श्रेष्ठ है। अच्छे तरीके से, बहुत प्यार से, अदब से, मन से किसी भी काम को कीजिए। हां, अपने काम को इतनी परिपूर्णता के साथ कीजिए कि फिर किसी अन्य को उस काम को दोहराने की जरूरत ही न पड़े। अगर आप एक गृहिणी हैं, एक महिला हैं तो अपने घर में झाडू भी इतने ढंग से लगाइए कि फिर किसी और को दुबारा झाडू लगाने की जरूरत न पड़े। ऐसा लगे जैसे मंदिर में प्रभुभक्ति कर रहे हों या रवीन्द्रनाथ टैगोर की 'गीतांजलि' लिख रहे हों या कोई उपन्यासकार अपने नूतन उपन्यास की रचना कर रहा हो । इतने सलीके से बुहारिए कि झाडू लगाना भी किसी कहानी को पढ़ने जैसा आनन्द दे जाए। आँगन इतना साफ हो जाए कि आपके घर आने वाला एक बार तारीफ़ कर ही दे और जब वह खुद के घर जाए तो अपनी पत्नी से कहे, 'सफाई किसे कहते हैं, यह तुम वहाँ जाकर सीखो । ' परिपूर्णता के साथ किया गया काम कभी छोटा या बड़ा नहीं होता । किस मन से आप काम करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है। दुनिया का हर बड़े से बड़ा काम छोटा हो जाता है अगर आप उसे पूरे दिल से करें और छोटा काम भी बड़ा हो जाता है अगर उसे बोझिल, उदास मन से किया जाए। इसलिए अपने काम से प्यार करना सीखिए। अगर आप जिंदगी भर अपने आपको तनावमुक्त देखना चाहते हैं, खुश देखना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने काम प्यार करें। तनाव एक बात और कहना चाहूँगा कि आप अपने आप को सदैव प्रसन्न रखें। प्रसन्नता सर्दी में सुबह की खिली धूप की तरह सुहावनी लगती है । से मुक्त रहने के लिए, तनाव से बचने के लिए यह प्रथम और अंतिम रामबाण औषधि है - हर हाल में मस्त रहना । अपने आपको इतना प्रसन्न रखिए कि अगर कोई गुस्सा करे तब भी आप मुस्कुराना मत भूलिए। गुस्सा उसे आ रहा है, उसकी मजबूरी पर हम गुस्सा क्यों करें? पापा ने डांटा, पापा आपकी सफलता आपके हाथ ७८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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