Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 82
________________ ही हँसी की होली छूट पड़ती है । जीवन भर तनाव से मुक्त रहने के लिए सौम्य मुस्कान से बढ़कर अन्य कोई मंत्र नहीं हो सकता, अन्य कोई अमृत-पथ नहीं हो सकता । ध्यान रहे, दाँत मत दिखाना किसी को । इतने जोर से भी मत हँसना कि तुम्हारी असभ्यता उजागर हो। केवल मुस्कान ही बनी रहे ! हँसना नहीं, मुस्कुराना है। लोग लॉफिंग क्लब चलाते हैं । अरे, इतनी जोर से मत हँसो कि हृदय पर दबाव पड़े या मस्तिष्क की नसें तन जाएँ। लोग हँसते हैं, चिल्ला-चिल्लाकर हँसते हैं और कहते हैं कि दिमाग का पूरा कचरा निकाल दो। 'अरे भइया, कचरा तो निकाल रहे हो, पर कहीं कुछ साइड इफेक्ट न हो जाए, इस बात का भी ध्यान रखना । मुस्कुराना सदाबहार फूल की तरह है, जिससे आप अपनी चिकित्सा खुद कर रहे होते हैं । इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। हां, कभीकभी हो भी सकता है जब पापा गुस्सा कर रहे हों और आप मुस्कुरा दें। तो ऐसा मार्ग क्यों न अपनाएँ जिससे निन्यानवें फायदे और एक नुकसान हों। आप चाहें तो उस नुकसान से भी बच सकते हैं। ध्यान रखें, पापा को गुस्सा आने पर आप उनके सामने मुँह करके मत मुस्कुराइए । मुस्कुराएँ तो जरूर, पर अपना मुँह थोड़ा घुमा लीजिए और तब बात कीजिए । यह औषधि स्वयं मनुष्य द्वारा ईजाद की हुई है। इसका एक प्रतिशत साइड इफेक्ट होता है और शायद उससे भी हम बच सकते हैं। प्यार से हर समय मुस्कुराते रहिए। ये नाचते मोर, गुटरगूं करते कबूतर, रंग बिखेरते इन्द्रधनुष, उमड़ती लहरें, खिलते फूल, टिमटिमाते तारे - हमें सौम्यता के, मुस्कान केही तो संदेश देते हैं । मधुर वाणी और मधुर मुस्कान - जीवन की सफलता के लिए इससे बढ़िया और कोई मन्त्र नहीं है। जरा आप मुझे बताइये कि कोई आपसे पूछे— 'कैसे हैं जनाब?' तो आपका क्या जवाब होगा? आप सहजता से कहेंगे, 'मजे में हूँ।' अपनी इस पंक्ति को हमेशा याद रखिए और अपने आपसे पूछते रहिए कि कैसे हो ? मुस्कान लाएँ, तनाव हटाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only ८१ www.jainelibrary.org

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