Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 78
________________ जीना दुस्वार कर गई।' मैं उसे देखा करता कि मरी तो उसकी पत्नी है, पर तनावग्रस्त वह हुआ है। वह दिन-रात फालतू रहता। नतीजन उसे रह-रहकर अपनी पत्नी की याद आती। वहीं मैंने देखा एक ऐसे व्यक्ति को जिसकी उम्र चालीस वर्ष की रही होगी। उसकी पत्नी भी मर गई। उसने स्वयं को, जितना व्यस्त वह पहले था, उससे दुगुना व्यस्त कर लिया। परिणामतः उसकी व्यस्तता ने पत्नी की याद से उत्पन्न तनाव से मुक्त कर दिया, उसे तनाव से बचा लिया। तुम, सुबह उठने से ले कर रात को सोने तक स्वयं को सतत व्यस्त रखो। सुबह-सुबह तेज रफ्तार से पच्चीस मिनिट के लिए घूमने चले जाओ, व्यायाम कर लो, योगासन कर लो, ध्यान कर लो आधा घंटा। दुकान चले जाओ, अखबार पढ़ लो, बच्चों के बीच बैठ जाओ, बच्चों से प्यार करने लग जाओ। पत्नी से मिलो, माँ-बाप की सेवा में चले जाओ, कुछ भी करो लेकिन खुद को काम में लगाए रखो। ऐसा करने से आपका दिमाग फालतू के विचारों में खर्च नहीं होगा। आप एक और मंत्र लीजिए कि आप जो कुछ भी करते हैं, जैसा भी करते हैं, उससे प्यार करना सीखिए। जो भी व्यवसाय करते हों, विद्याध्ययन करते हों या अन्य कुछ भी काम करते हों, उससे प्यार करना सीखो। बेमन से कोई काम मत करो। बोझिल मन से किया गया काम पाँव की बेड़ी बन जाता है जबकि उत्साह भाव से किया गया काम व्यक्ति के लिए मुक्ति का प्रथम द्वार हो जाता है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर काम अच्छा होता है। कभी किसी काम को करने में यह न सोचो कि यह काम छोटा और यह काम बड़ा। अगर तुम गरीब हो और धन नहीं लगा सकते तो बड़े व्यापार के बारे में मत सोचो। तुम फल की दुकान लगाकर बैठ जाओ और बड़े प्यार से उस धंधे को करो। तुम्हें मुनाफा होगा। फिर किसी अन्य व्यवसाय के बारे में विचार करो। अरे, दुनिया में कई लोग तो रद्दी इकट्ठी करके भी अपना गुजारा कर लेते हैं। मुस्कान लाएँ, तनाव हटाएँ ७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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