Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 69
________________ मुस्कान लाएँ, तनाव हटाएँ अपनी बात की शुरूआत एक ऐसे पौधे से करूँगा जिसके शुरू होने से लेकर पूर्णता प्राप्त करने का मैं साक्षी रहा हूँ। यह एक सहज संयोग ही रहा कि जिस दिन पौधे की कलम लगाई गई थी, उस दिन मैं भी उस पौधे के करीब था और जिस दिन उस कलम में से पहली डाली फूटकर आई तो मैं उसके उस अंकुर का भी द्रष्टा रहा। जिन दिनों उस डाली में से पत्ते और कांटे निकलकर आए, मैंने उनको भी निहारा। मैं पौधे के उन क्षणों का भी गवाह हूँ जब उस पर कली निकलकर आई और कोई गुलाब का फूल अपना सौन्दर्य और सुवास बिखेरने लगा। उस पौधे को देखकर जीवन की पहली किरण यह मिली कि हम सब लोगों का जीवन भी ऐसा ही है जैसे काँटों से भरे गुलाब के पौधे का होता है। ऐसा कौन व्यक्ति है जिसे अपने जीवन में संघर्ष न करना पड़ता हो? धरती पर वह कौन है जिसे अपने जीवन में असफलता का सामना न करना पड़ा हो? भला जब किसी भी परिस्थिति का उदय होता है तो यह प्रकृति की व्यवस्था है कि उदीयमान परिस्थिति का विलय भी अवश्य होता है। प्रकृति परिवर्तनधर्मा है। जब एक बात तय है कि जो जन्मता है उसकी मृत्यु भी होती Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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