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व्यक्ति जाति, रंग और रूप के आधार पर महान् नहीं होता। व्यक्ति तो अपने कर्मों के कारण ही महान बनता है।
व्यक्ति सुंदर कार्य करने से ही सुंदर बनता है। क्या कभी ध्यान दिया है कि राजा रणजीतसिंह भी एक आंख से काने थे। प्रसिद्ध साहित्यकार मलिक मोहम्मद जायसी काले-कलूटे और कुरूप थे। कुरूप होना कोई पाप नहीं है। यह तो प्रकृति-प्रदत्त है। यह तो उस व्यक्ति के लिए एक बहुत अच्छी चुनौती है कि वह अपने कार्यों को उतनी श्रेष्ठता दे कि प्रकृति द्वारा किये गये खिलवाड़ को वह नाकाम साबित कर दे और दुनिया में उसकी अपने कार्यों के बल पर अलग पहचान कायम हो।
हमारे एक बहुत अज़ीज़ डॉक्टर हैं, लेकिन उनके जीवन में सबसे मुख्य बात यह है कि वे काले-कलूटे हैं। उनके चेहरे पर चेचक के दाग हैं
और नाक भी भौंदी है। वहीं उनकी बीवी इतनी सुंदर है कि यदि कोई दोनों पति-पत्नी को एक साथ देखे तो भ्रम में पड़ जाएगा कि ये दोनों वाकई में पति-पत्नी हैं?
चूंकि वे हमारे करीबी परिचित थे, इसलिए एक दिन मैंने उस महिला से पूछा- 'बहन, क्या शादी के पहले आपने एक-दूसरे को देखा था?' महिला ने जवाब दिया-'अवश्य देखा था।' मैंने पूछा- क्या आपने दूसरी शादी की है?' उसने जवाब दिया-'जी नहीं, यह मेरी पहली शादी है।' मैंने फिर पूछा- 'तो क्या आप किसी गरीब परिवार से सम्बन्ध रखती हैं?' उसने कहा- 'नहीं, मेरा पीहर पक्ष भी सम्पन्न है।' मैंने पूछा- 'फिर क्या कारण रहा कि जिसके चलते आपने ऐसे व्यक्ति से शादी की?' उस महिला ने जो जवाब दिया, मै चाहता हूँ कि दुनिया का हर व्यक्ति उस जवाब से रूब-रू हो। उस महिला ने कहा, प्रभु, मैंने इस आदमी की सूरत से नहीं बल्कि सीरत से शादी की है। इस व्यक्ति की प्रकृति और स्वभाव इतना निर्मल है कि मैं आज भी स्वयं को धन्य समझती हूँ कि मैंने इनको पाया। इतना नेक, सरल, सौम्य व्यक्ति मिलना मुश्किल है।'
सफलता के लिए जगाएँ आत्मविश्वास
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