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जाएगा। तुम अपनी जेब में हमेशा ऐसे सिक्के रखो जिनके दोनों तरफ खुशी हो । ऊपर उछाला, चित्त आ गया तो भी खुशी और पट आ गया तो भी खुशी ।
तुम आईने के पास जाते हो और तुम्हें तुम्हारा चेहरा सुहाना नहीं लगता है। मैं कहता हूँ कि आइने को मत बदलो । आईने को बदलने से चेहरे नहीं बदलते हैं । यदि तुम अपना चेहरा बदलना चाहते हो तो अपनी मनोदशा बदलकर चेहरा देखो। तुम्हें आईना अपने आप बदला हुआ दिखाई देगा । तुम्हारी अपनी मानसिकता में जो दुःख, रुदन, क्रोघ, और भय भरा है, उसे दूर हटाकर आईने को देखो। खिलखिलाते हुए, प्रसन्न और उमंग से भर कर यदि तुम आईने को देखोगे तो आईना भी मुस्कुरा उठेगा, दमक उठेगा।
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यहाँ पास में ही एक स्कूल है जहाँ पर माता-पिता अपने बच्चे को रोज छोड़ने आया करते हैं । वे अलग होते समय एक-दूसरे को गिफ्ट भी दिया करते हैं। वह गिफ्ट यह होता है कि पहले वे अपने बच्चे के हाथ चूमते है और बच्चा भी अपने माँ बाप के हाथ चूमता है। माँ-बाप द्वारा हाथ चूमने के बाद बच्चा अपनी मुट्ठी को बंद करता है और उसे अपनी जेब में ऐसे डाल देता है कि जैसे उसमें कुछ भर रहा हो। माँ बाप चले जाते हैं और बच्चा पढ़ने लग जाता है, पर पढ़ते-पढ़ते उस छोटे से बच्चे को जैसे ही अपने माँ बाप की याद आती है, वह तुरन्त अपना हाथ जेब में डालकर बाहर निकालता है, हाथों का एक चुम्बन लेता है और फिर पढ़ने में मस्त हो जाता है ।
उस बच्चे की एक शिक्षिका उसे रोज ऐसा करते हुए देखती थी। एक दिन उस शिक्षिका ने उस बच्चे से पूछ ही लिया - 'बेटा, तुम यह रोज-रोज क्या करते हो? अपना हाथ जेब में डालते हो, उस हाथ को चूमते हो और फिर पढ़ने लग जाते हो ।' बच्चे ने कहा, 'मेडम, मेरी यह जेब पूरी भरी हुई है, टोफियों से नहीं बल्कि मेरे मम्मी-पापा के चुम्बनों से। जब मुझे उनकी याद सताती है तो मैं अपना हाथ डालकर उनका चुम्बन निकालता हूँ और बड़े प्यार से अपने हाथों को चूमता हूँ । तब मुझे वही सुकून मिलता है जो मम्मी-पापा द्वारा मेरे हाथ चूमने पर मिलता है।' कितना खूबसूरत भाव है
आपकी सफलता आपके हाथ
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