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करते देख उन पर रीझ गया और प्रतिदिन उनके पास चबूतरे पर खड़ा हो जाता।
धीरे-धीरे मोती भाई और साँड में लगाव हो गया। मोती भाई जब तक उसके बदन को सहला न ले, साँड को चैन नहीं और साँड जब तक मोती भाई के हाथ और पाँव पर अपनी जीभ न लगा दे तब तक मोती भाई को
चैन नहीं। यह क्रम रोजाना चलता। धीरे-धीरे मोती भाई के दिमाग में एक फितूर उठने लगा। उनके दिमाग में यह निरर्थक विचार आने लगा कि, 'इस साँड के सींग कितने सुन्दर हैं ! कभी इनके बीच में अपना सिर डालकर देखू तो सही! ये सींग तो बिल्कुल मेरे सिर के आकार के हैं।' मन में उठा यह फितूर और सोचते-सोचते वह इतना इतना सघन हो गया कि मोती भाई ने अपने सिर को सांड के सींगों के बीच घुसाने की ठान ही ली।
मनुष्य के दिमाग में उठने वाले विचार किसी बीज की तरह हुआ करते हैं। छोटे से विचार को छोटा समझकर दरकिनार न करें क्योंकि वह छोटा-सा विचार ही आने वाले कल में भविष्य का निर्माता हो सकता है। अणुबम छोटा होता है, पर जब वह विस्फोटित हो जाए तो वह किसी भी हिरोशिमा और नागासाकी को ध्वस्त कर सकता है। एक छोटे से बीज में, वृक्ष का भविष्य छिपा रहता है। एक छोटे से बीज में, एक विशाल बरगद समाया रहता है। इसलिए अपने किसी भी विचार को छोटा समझकर निगलेक्ट' न करें, क्योंकि वही विचार आने वाले कल में आपके जीवन की परिभाषा बनेगा। आज का विचार आपके आने वाले कल का बीज है। विचारों को । सुधारिए, व्यक्तित्व स्वतः सुधर जाएगा।
मोती भाई को ही लीजिए। उसने अपने मन में उठे फितूर के चलते, एक दिन अपना सिर साँड के सींगों के बीच घुसा ही दिया। साँड सकपकाया। सिर भी सींगों के आकार का था, इसलिए उनमें फँस गया। उधर साँड डर के मारे अपना सिर इधर-उधर पटकने लगा। उसने ऐसी पटकनी मारी कि मोती भाई पटेल की हड्डी-पसली एक हो गई। लोगों ने बीच-बचाव करके मोती भाई का सिर सींगों के बीच से निकाला। लोग बोले-'अरे बेवकूफ! अपना सिर सींगों के बीच डालने से पहले कुछ तो सोचा होता?' मोती भाई बोला५८
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