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चलने वाला मंज़िल पाता, बैठा, पीछे रहता है। ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है । पाँव दिये चलने की खातिर, पाँव पसारे मत बैठो ॥
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तेज दौड़ने वाला खरहा
दुपहर चलकर हार गया ।
धीरे-धीरे चलकर कछुआ,
देखो बाजी मार गया। चलो कदम से कदम मिलाकर
दूर किनारे मत बैठो |
बैठे कि तालाब बने, चलने लगे कि नदिया हुए। रुके कि बाजी हारे, चलते रहे तो जीत जाओगे । भला, जब धरती, तारे, चाँद, सूरज सभी गतिमान हैं, फिर हम ही क्यों मायूस बैठे हैं। आत्मविश्वास की शक्ति जगाओ । गतिशील और क्रियाशील बनो, लक्ष्य को फिर से आँखों में बसाओ । प्रयत्न हो एक बार फिर से ; ईश्वर तुम्हारे साथ है।
धरती चलती, तारे चलते,
चाँद रातभर चलता है । किरणों का उपहार बाँटने,
सूरज रोज निकलता है।
हवा चले तो महक बिखेरे, तुम भी प्यारे मत बैठो ॥
आपकी सफलता आपके हाथ
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