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मैंने अपनी जिज्ञासा डॉक्टर साहब के समक्ष भी रखी और पूछा'क्या आपको अपने काले रंग और भौंदी नाक को लेकर मलाल नहीं हुआ ?' उस व्यक्ति ने कहा- ‘साहब, बचपन में मुझे सब 'कालू' और 'भौंदू' कहकर ही पुकारते थे। उनके वे शब्द सुनकर मुझे दुःख तो बहुत होता था पर मैंने उस समय ही दृढ़ संकल्प कर लिया था कि मैं अपने व्यक्तित्व को इतना महान् बनाऊँगा कि मेरी कुरूपता गौण हो जाए। मेरी उस सुदृढ़ मानसिकता ने ही मुझे आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बनाया।
सुन्दर वह नहीं होता जिसके नैन-नक्श सुंदर होते हैं । सुन्दर वह होता है जिसके कार्य सुन्दर होते हैं ।
अपनी योग्यता पर अविश्वास करना, अपने बारे में गलत धारणाएँ बना लेना, अपनी शक्ति का कम आकलन करना, यही हीनता की भावना है। अगर आपके मन में यह भावना घर कर गई है, तो उसे निकाल फेंकिए। यह मत सोचिए कि मैं गरीब हूँ । भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, गरीब घर में जन्मे थे। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन एक गरीब परिवार से सम्बन्ध रखते थे। हमारे देश के मौजूदा राष्ट्रपति डॉ० अब्दुल कलाम तो इस बात को तहेदिल से स्वीकार करते हैं कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता। वे बच्चों के द्वारा खाई हुई इमली के बीज बटोर कर परचूनी की दूकान पर बेचते और उन पैसों से अपनी पाठ्य पुस्तकें खरीदते । यह व्यक्ति इतनी दयनीय स्थिति से गुजरा है, लेकिन उस व्यक्ति ने अपने मनोबल को, अपने आत्मविश्वास को, अपने सपनों को सदैव ऊंचा रखा । क्या यह कम महत्त्वपूर्ण बात है कि किसी दलगत राजनीति से सम्बन्ध न रखने के बावजूद भी पूरा देश उनके पक्ष में है और वे देश के सर्वोच्च पद से सम्मानित हैं ।
अपने पर भरोसा रखो और अपने काम पर यकीन रखो, तुम अपनी शक्ति को, संकल्पशक्ति को मजबूत बनाओ। आपको मैं फिर याद दिलाता हूँ कि कमजोर मन नहीं चलेगा। अपने मन को मजबूत बनाओ। खेल जगत में रुचि रखने वाले रूडोल्फ के नाम से आप सभी अच्छी तरह परिचित हैं । आप
आपकी सफलता आपके हाथ
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