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डालो तो वह आकाश की ऊँचाइयों को छू सकता है। अगर गुब्बारे में तुम हवा या गैस न भरो तो वह गुब्बारा कभी ऊँचा नहीं उठ सकता। चाहे उसे चाइना पैदा करे या हिंदुस्तान; चाहे उसे बिल क्लिंटन उत्पादित करे या अब्दुल कलाम। उसे गर्वाच्योव पैदा करे या जॉर्ज बुश, उस गुब्बारे को सद्दाम हुसैन पैदा करे या फिर ओसाम बिन लादेन । गुब्बारे आदमी के कारण नहीं बल्कि भीतर जो कुछ भरा जाता है, उसी का परिणाम है।
वे ही गुब्बारे ऊँचे उठा करते हैं, जिनके अन्दर हम कोई हीलियम गैस भरने का प्रयास करें। ऐसे ही सफल होने वाली जिन्दगी के गुब्बारे में भी हमें कुछ ऐसे ही गुण भरने होंगे जिनसे ज़िन्दगी का गुब्बारा आसमान की ऊँचाइयों को छु सके।
मेरी बातें उनके लिए भी उपयोगी हैं, जो लोग व्यवसाय-क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। जो शिक्षा-जगत से जुड़े हैं, उनके लिए भी वे उपयोगी हैं। जो धर्म
और अध्यात्म के क्षेत्र से जुड़े हैं, उनके लिए भी वे कारगर हैं। हर किसी को पूर्णता चाहिए, सफलता चाहिए, चाहे आप जिस किसी भी क्षेत्र से जुड़े हुए क्यों न हों? दुनिया उनको मानती है जो ऊँचाई पर हों। मैंने कहा, 'चाहे महावीर हो या मैक्समूलर'। महावीर अपने आप में अध्यात्मक्षेत्र के प्रतीक थे और मैक्समूलर ज्ञान और साहित्य-जगत के प्रतीक। बुद्ध अपने आप में करुणा और ध्यान के प्रतीक थे तो बिड़ला और अम्बानी व्यवसाय जगत के प्रतीक । क्राइस्ट अपने आप में क्षमा, प्रेम और सहानुभूति के प्रतीक थे, तो किरण बेदी शासन-प्रशासन/संचालन-तंत्र की प्रतीक।
क्षेत्र चाहे कोई भी क्यों न हो, जीवन को सफलता और ऊँचाई देना आपके हाथ में है। कल मैं एक गीत गुनगुना रहा था। वह गीत उन लोगों के लिए बड़े काम का है, जिनके हृदय में निराशा घर कर गई है, जो हीनता या असफलता की भावना से भरे हुए हैं।
छिप-छिप अश्रु बहाने वालो, मोती व्यर्थ लुटाने वालो, कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
क्या करें कामयाबी के लिए?
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