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सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी, पर टूटना है उसका जो जागे कच्ची नींद जवानी। कच्ची उम्र बिताने वालो, डूबे बिना नहाने वालो, कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।
जीवन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है? खुद ही हल हो गई समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो, समझो पूरी हुई समस्या। रूठे दिवस मनानेवालो, फटी कमीज सिलाने वालो, कुछ दीयों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।
जीवन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर, केवल जिल्द बदलती पोथी, जैसे रात उतार चाँदनी, पहने सुबह धूप की धोती। वस्त्र बदलकर आने वालो, चाल बदल कर जाने वालो, चन्द खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है।
जीवन नहीं मरा करता है।
कितनी बार गगरियाँ फूटी, शिकन न आई पनघट पर, कितनी बार किश्तियाँ डूबी, चहलपहल वैसी ही तट पर। तम की उम्र बढ़ाने वालो, लौ की उम्र घटाने वालो, लाख करे पतझड़ कोशिश, पर उपवन नहीं मरा करता है।
जीवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गन्ध फूल की। तूफानों तक ने छेड़ा, पर खिड़की बन्द न हुई धूल की। नफरत गले लगाने वालो, सब पर धूल उड़ाने वालो, कुछ मुखड़ों की नाराजी से, दर्पण नहीं मरा करता है।
जीवन नहीं मरा करता है।
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आपकी सफलता आपके हाथ
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