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आत्मविश्वास जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है। आत्मविश्वास से बढ़कर व्यक्ति की कोई सम्पत्ति नहीं है, और न आत्मविश्वास से बढ़कर कोई मित्र होता है। इस मित्र को आप हर पल अपने साथ रखिए। यह आपको हर कदम पर सम्बल देगा। चाहे आप अध्ययन के क्षेत्र से जुड़े हों, चाहे व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हों, हर क्षेत्र में आत्मविश्वास नाम का यह मित्र आपको सहायता प्रदान करेगा। आप पाएँगे कि आपका संकटमोचक हनुमान आपके साथ है।
संकट के समय ही आदमी के धैर्य और संयम की परीक्षा होती है। उसी समय पता चलता है कि व्यक्ति अपनी ताकत के बल पर अपनी बाधाओं को कितना पार कर सकता है और उसमें कितना आत्मविश्वास है?
आत्मविश्वास के बल पर ही कभी नेपोलियन जैसे लोगों ने कहा था कि, 'असम्भव जैसा शब्द मूर्ख लोगों के शब्दकोषों में मिलता है।' इसीलिए जब अल्पास की पहाड़ियों को पार करते हुए नेपोलियन एक बुढ़िया की झोपड़ी तक पहुँचता है तो उसे देखकर बुढ़िया कहती है- 'नेपोलियन ! अल्पास की इन पहाड़ियों को आज तक कोई पार नहीं कर सका है। सैकड़ों विश्वविजेताओं ने इन्हें पार करने का प्रयत्न किया है, पर सब पहाड़ियों में ही दब कर मर गये।' तब नेपोलियन ने आत्मविश्वास को जगाने का यह शंखनाद कर डाला था- 'बूढ़ी अम्मा, दुनिया में ऐसी कौन-सी पहाड़ियाँ हैं, जिन्हें नेपोलियन पार करना चाहे और पार न कर सके? बुढ़िया ने नेपोलियन को ध्यान से देखा, उसके आत्मविश्वास को देखा, उसकी छाती को देखा और उसके उत्साह पर निगाह डाली और कहा- 'नेपोलियन, भले ही दुनिया का बड़े से बड़ा विश्वविजेता अल्पास की इन पहाड़ियों को पार न कर सका हो , पर तेरा आत्मविश्वास और दृढ़ मनोबल तुझे अल्पास की इन पहाड़ियों को तो क्या, इनसे भी कहीं अधिक दुर्गम पहाड़ियों को पार कराएगा।'
यह आत्मविश्वास ही था जिसने तेनजिंग और हिलेरी को हिमालय के शिखर का स्पर्श कराया। हाँ, यह आत्मविश्वास की ही ताकत है कि कभी कोलम्बस सात समंदर पार कर भारत की खोज में निकल गया था और पियरे
सफलता के लिए जगाएँ आत्मविश्वास
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