Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 40
________________ मनोबल को किसी भी कीमत पर कम न होने दो। अगर व्यक्ति अपने उत्साह, ऊर्जा और विश्वास को बरकरार रखता है तो मैं दावे के साथ कहता हूँ कि उसे कभी शिकस्त नहीं मिलती। यदि उसे असफलता मिल भी जाए तो वह उसे पराजित नहीं कर पाती है। हर असफलता उसको सफलता की ओर बढ़ाने के लिए पीठ पर दी जाने वाली प्रेरणा की थपकी हो जाती है। कहते हैं, एक बार किसी 'दुग्ध-एकत्रण केंद्र' से डेयरी संयंत्र के लिए दूध के केन रवाना होने वाले थे। एक चंचल बच्चे ने दूध के उन केनों में मेंढ़क डाल दिए और ढक्कन बंद कर दिया। उन केनों में बंद मेंढकों में से एक ने सोचा कि यदि मैं प्रयत्न कर ढक्कन को खोल दूं तो मैं आजाद हो सकता हूँ। उसने बहुत प्रयत्न किया पर ढक्कन भारी था अतः नहीं खुला। उसने केन के चारों सिरों पर दस-बीस चक्कर भी लगाए, पर वह बाहर निकलने का मार्ग नहीं पा सका। उसे लगा कि वह अब बाहर नहीं निकल पाएगा। उसका मनोबल टूट गया। उसके प्राण सिकुड़ते चले गये और वह दूध में डूबकर मर गया। दूसरे केन के मेंढक ने भी सोचा कि यदि मैं केन के ढक्कन को खोल लेता हूँ तो मैं मुक्त हो सकता हूँ। उसने केन के ढक्कन को खोलने का बहुत प्रयत्न किया, पर वह भी उसे खोल नहीं पाया। उसने भी केन के किनारे पर दस-पाँच चक्कर काटे पर उसे कोई मार्ग नहीं मिला। चूंकि केन दूध से भरा था इसलिए मेंढक को जीवन मुश्किल लग रहा था। यदि केन पानी की होती तो शायद उसे जिंदा रहने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती। कुछ क्षण बाद उस दूसरे मेंढक ने सोचा कि मुझे यहाँ से मुक्त होने का कोई मार्ग नहीं दिख रहा है पर मैं अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जीवन की आशा नहीं छोडूंगा और अपने पुरुषार्थ में कोई कमी नहीं आने दूंगा। उत्साह के दीप को जलाए रखते हुए, वह दूध में दो घण्टे तैरता रहा। उसका तैरना व्यर्थ न गया। उसके लगातार दूध में तैरते रहने से मंथन हुआ और मक्खन ऊपर आ गया जिससे वह मेंढक मक्खन पर बैठ गया। जब दूध की गाड़ी डेयरी संयंत्र पर पहुँची और केन का ढक्कन खोला गया तो मक्खन पर सफलता के लिए जगाएँ आत्मविश्वास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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