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बैठा हुआ मेंढक फुदक कर मुक्त हवा में बाहर निकल आया।
जो व्यक्ति हिम्मत हार चुका तो आप यह मानकर चलें कि वह गया नीचे तल में और डूबकर मर गया। और जिसने अपने मनोबल को मजबूत रखा, वह चाहे जिस दुविधा और संकट से घिर जाए, अपने को पार लगा ही लेगा।
कष्ट किसे नहीं आते? बाधाएँ किसका रास्ता नहीं रोकती? पर कष्ट और बाधाओं को वे ही पार कर पाते हैं, जिनका मनोबल मजबूत होता है। शरीर कमजोर है तो चिंता न करें पर मन को कमजोर न होने दें। अगर आप में से कोई व्यक्ति विकलांग है, तो भी कोई चिंता की बात नहीं है, पर आप मन को विकलांग न होने दें। क्यों भूल जाते हैं हम ऐसे लोगों की प्रेरणाओं को जो शरीर की दृष्टि से कमजोर होने पर भी, अपने दृढ़ मनोबल के द्वारा दुनिया की श्रेष्ठतम उपलब्धियों को अर्जित कर चुके हैं।
हम अपने देश के एक महान् संगीतकार की मिसाल लें, जिन्होंने नेत्रहीन होने के बावजूद संगीत के क्षेत्र में मील के पत्थर स्थापित किये हैं। उस व्यक्तित्व का नाम है- रवीन्द्र जैन। क्या आप जानते हैं कि जिस व्यक्ति ने विश्व को संगीत के उच्च कोटि के एल्बम दिए हैं, वह व्यक्ति बहरा था। उसका नाम था-बीथोवन । जिस व्यक्ति ने संसार की बेहतरीन कविताएँ रची थीं, वह अंधा था और उसका नाम था मार्टिन । मैं हिंदी के ही एक साहित्यकार का नाम लेना चाहता हूँ जो कि दोनों हाथों से अपंग थे, पर उन्होंने अपने पैरों के अंगूठों का प्रयोग करते हुए, सैंतीस किताबें रच डाली थीं। उनका नाम है डॉ० रघुवंश सहाय। मैं उस महिला को याद करना चाहूँगा जिसे मैं स्वयं पढ़ता हूँ। वह महिला अंधी, बहरी और मूक थी, पर उसने जो चिंतन-अमृत दिया है, उसे पाकर हम जैसे लोग भी सुकून पाते हैं। उस महिला का नाम था हेलन केलर । कैसे भुलाए जा सकते हैं वे जन्मांध सूरदास जिनके गीत और भजन पूरे भारत भर में बड़ी श्रद्धा और आदर के साथ गाए जाते हैं। प्रकृति की तरफ से मिलने वाले अभाव चाहे अभाव ही क्यों न कहलाएँ पर यदि व्यक्ति अपने मनोबल को ढढ़ रखे तो उन अभावों पर भी विजय पाई जा सकती है।
आपकी सफलता आपके हाथ
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