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ने उत्तरी ध्रुव की खोज की थी। यह आत्मविश्वास का ही बल था कि गैलिलियो ने कभी झूलते हुए लैम्पों का आविष्कार किया था और शिवाजी ने मात्र सोलह वर्ष की उम्र में अपनी ज़िन्दगी का पहला किला फ़तह किया था। जिस शख्स के नाम पर अमेरिका की राजधानी का नाम वाशिंगटन रखा गया, क्या आप उसके बारे में जानते हैं? यह वह व्यक्ति था जिसने मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में सेनापति का पद संभाल लिया था और केवल इक्कीस वर्ष की अल्प आयु में ही वह दुनिया से चल बसा। जब वह मरा था तब उसने आधी दुनिया को जीत लिया था। आदमी जो चाहे और उसे कर न पाये, ऐसा कैसे सम्भव है? अगर कमजोरी है तो वह तुम्हारे मन में है। मन को मजबूत करो और जो चाहो सो पाओ।
यदि व्यक्ति पूरे साल पढ़ाई करे और असफल रहे तो मैं कहूँगा कि उसका कारण व्यक्ति के मन का संदेह है। वह लगातार यही सोचता रहता है कि मैं कहीं फेल न हो जाऊँ। जो व्यक्ति रोता हुआ जाता है, वह मौत का समाचार ही लेकर आता है। अगर किसी को कहा जाता है कि एक ताजी ब्रेड लाना और वह जवाब में कहता है- 'कि ताजी नहीं मिली तो क्या करूँ?' तो उसका ब्रेड लाना संदेहास्पद है। ताजी और बासी की बात तो दुकान पहुँचने के बाद समझने की थी। जिस व्यक्ति ने कार्य के शुरू में ही सवालिया निशान लगा दिया है, वह कभी कार्य को सफलता से नहीं कर सकता। उसे तो बासी ब्रेड ही नसीब होगी। अगर उसे ताजी ब्रेड मिल भी जाए तो भी उसके मन का संदेह तो बना ही रहेगा कि कहीं यह बासी तो नहीं है?' घर आकर जब पापा पूछेगे कि 'बेटा, ब्रेड ताजी तो है न;' तब उसके मन का संदेह उसे जवाब भी नहीं देने देगा। वह कहेगा कि 'उसने तो ताजी ही कहा है' पर...। उसकी वाणी कमजोर हो जाएगी, जुबान बोल न सकेगी, क्योंकि उसका मन कमजोर हो गया है।
जिसका अपने आप पर यकीन नहीं, उसकी जिंदगी हसीन नहीं। जो अपने आप पर विश्वास नहीं रखता है, वह कभी आस्तिक नहीं हो सकता। वह व्यक्ति नास्तिक है। मैं कहना चाहूँगा कि विश्वास करो अपने आप पर।
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आपकी सफलता आपके हाथ
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