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जब तक तुम असमर्थ होते हो, तब तक तुम्हारी व्यवस्था कुदरत करती है किन्तु जिस दिन तुम अपने पाँवों पर खड़े हो जाते हो, उस दिन से तुम अपनी व्यवस्था स्वयं करते हो । उस समय तुम स्वयं व्यवस्थापक बन जाते हो अपने आप के । आप अपनी इच्छाशक्ति को जागृत करें । हम चाहे जिस क्षेत्र में कामयाबी पाना चाहते हों, अपना लक्ष्य निर्धारित करें। जितना ऊँचा लक्ष्य होगा, उतना ही व्यक्ति में ज्यादा उत्साह होगा । जिसका जितना सुदृढ़ और महानतम लक्ष्य हुआ करता है, उस व्यक्ति में उतनी ही सघन ऊर्जा हुआ करती है।
जानवर अपना लक्ष्य नहीं बना सकते। लक्ष्य तो मात्र इन्सान ही बना सकते हैं। जानवरों का काम तो जन्म लेना है, आहार करना है, बच्चे पैदा करना है और मर जाना है ।
काम तो हम लोग भी यही करते होंगे, पर हम आदमी की औलाद हैं । कुदरत ने हमें कुछ विशिष्ट क्षमताएँ और शक्तियाँ दी हैं, जिनका हम सब लोगों को उपयोग करना चाहिए। ज़रा सोचो कि हमारे जीने का मकसद क्या है ? क्या हम इसीलिए जी रहे हैं कि अभी तक मरे नहीं हैं? अगर आप इसलिए जी रहे हैं कि आप मरे नहीं हैं तो आप अब भी मरे हुए हैं। अगर आप जीवन में कुछ उपलब्ध करना चाहते हैं, चाहे हममें से कोई अपाहिज ही क्यों न हो, तो भी प्रयास करो। तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी। किसी-नकिसी मंजिल तक अवश्य पहुँचोगे ।
लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। मेरे बोलने की सार्थकता इसलिए है कि व्यक्ति को अब तक अपना लक्ष्य निर्धारित करने का न तो वक्त मिला, न उसका मानस बना और न ही उसे कोई प्रेरणा मिली। मैं पूछना चाहूँगा आप सब लोगों से, चाहे आप जिस किसी भी क्षेत्र से जुड़े हुए क्यों न हों, आपके जीने का लक्ष्य क्या है? मैं पूछना चाहूँगा उस बीस वर्ष के युवक से कि उसके जीवन का मकसद क्या है? मैं पूछना चाहूँगा अस्सी वर्ष के उन बुजुर्गों से जो कुर्सी पर बैठे हैं। आप अपने शेष रहे जीवन से क्या चाहते हैं? आप जीवन
क्या करें कामयाबी के लिए?
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