Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 30
________________ अगर आप विद्यार्थी हैं तो विद्या-अर्जन के लिये कड़ी मेहनत करें। व्यवसायी हैं तो व्यापार के लिए कड़ी मेहनत करें। कहीं सर्विस करते हैं, तो वहाँ कड़ी मेहनत करके अपना स्थान तय कीजिए। आप देखते हैं चींटी मात्र एक कण के लिए कितनी मेहनत करती है। एक चिड़िया अपना घौंसला बनाने के लिए किनती कड़ी मेहनत करती है। गिलहरी को अण्डा देने के साल भर पहले उतनी मेहनत करनी पड़ती है, जितनी कि एक मकान बनाने में लगती है। हाथी को 'मण' के लिए और चींटी को 'कण' के लिए मेहनत करनी पड़ती है। 'श्रममेव जयते' अर्थात् विजय श्रम की ही होती है। कल एक सज्जन ने मुझसे पूछा, 'आजकल इतने रोग क्यों हैं और उनका निदान क्यों नहीं होता?' मैंने कहा कि 'रोगों का कारण व्यक्ति की अपनी ही शैली हैं । व्यक्ति परिश्रम से जितना दूर भागेगा, रोग उतने ही उसके नजदीक आते जाएँगे।' पहले लोग श्रम किया करते थे। आप पहले के पुरुषों को देख लीजिए और आज के पुरुषों को भी; पहले की महिलाओं को देख लीजिए और आज की महिलाओं को भी। पहले की महिलाएँ सत्तर वर्ष की होकर भी चुस्त और मेहनती हैं। आज की आराम तलब महिलाएँ चालीस वर्ष की होकर भी कोई मोटी है, तो कोई हड्डी-हड्डी। किसी की कमर दुखती है तो किसी के घुटने। सवाल उम्र का नहीं है। सवाल है सक्रियता और निष्क्रियता का। हमारे पास निन्यानवे वर्ष के एक बुजुर्ग व्यक्ति आते हैं। उनका नाम है प्रसन्नचन्द्र धाड़ीवाल। आप ताज्जुब करेंगे इतने वृद्ध व्यक्ति को देखकर! धीरे-धीरे कछुए की चाल चल कर वे हमारे पास आते हैं। वे प्रतिदिन मंदिर जाते है, पूजा करते हैं और यहाँ तक कि अपने कपड़े भी स्वयं धोते हैं। इसलिए कि उस व्यक्ति ने स्वालम्बन में ही विश्वास रखा है। याद रखो कि अगर तुमने अभी से ही कर्मठता की आदत नहीं डाली तो बुढ़ापे में तुम्हें एक गिलास पानी पिलाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा। यह शरीर, यह मशीनरी भी उतना ही साथ देगी जितना तुम इसका सुव्यवस्थित उपयोग करोगे। आज रोग इसलिए हैं, क्योंकि व्यक्ति या तो मेहनत करना ही नहीं जानता, या फिर क्या करें कामयाबी के लिए? २९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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