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शैलेष के अन्तर्मन को प्रेरणा मिल गई। उसे लगा कि जब एक पंगु व्यक्ति निरन्तर प्रयास और निरन्तर संघर्ष से अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकता है तो फिर मैं सफल क्यों नहीं हो सकता? वह पुनः नौकरी की तलाश में जुट गया, अपने रोजगार की व्यवस्था के लिए जुट गया। पतन की खाई में गिरने वाला व्यक्ति अपने आस-पास होने वाली छोटी-मोटी घटना से भी प्रेरणा प्राप्त कर लेता है तो वह व्यक्ति जो दृढनिश्चयी हो, वह अपने जीवन में एक अनोखे, अद्भुत आत्मविश्वास की ऊर्जा को प्राप्त क्यों नहीं कर सकता?
दुनिया में हर किसी इन्सान की ख्वाहिश होती है कि वह ऊँचाइयों के शिखरों को स्पर्श करे। गरीबी और नाकामयाबी तो जीवन के लिए अभिशाप हैं। हर व्यक्ति का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह ऊँचाइयों के आकाश का स्पर्श करे। कामयाबियाँ महज किसी किस्मत का खेल नहीं है। सफलता मात्र किसी संयोग का परिणाम नहीं है। मनुष्य अपने द्वारा अपनाए जाने वाले बुनियादी उसूलों के द्वारा ही सफलता की श्रेष्ठता अर्जित किया करता है।
जो लोग कोशिश ही नहीं किया करते, वे कभी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकते। सच तो यह है कि कोशिशों में ही कामयाबी छिपी रहती है। जो व्यक्ति चल ही नहीं रहा है, वह निश्चित ही कभी नहीं गिरेगा। पर जो गिरने से कोताही बरतता है, वह कभी किसी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकेगा। जो व्यक्ति इस भय के कारण मधु-मक्खी के छत्ते के पास नहीं जाता कि मधुमक्खी कहीं मुझे काट न खाए, वह कभी भी शहद प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होता।
जो चलेगा, वह गिरेगा भी। जो बोलेगा, वह तुतलाया भी होगा। जो करेगा उससे गलती भी होगी। जो गलती से डरेगा, जो आलोचना से बचना चाहेगा, वह व्यक्ति जहाँ है, वहीं रहेगा। वह किसी मन्दिर की सीढ़ी अवश्य बन सकता है, पर उस मन्दिर के भीतर रहने वाली आदरणीय मूर्ति कतई नहीं बन सकता।
आपकी सफलता आपके हाथ
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