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स्वयं के संघर्षों और कोशिशों में ही कामयाबियाँ छिपी रहा करती हैं। महावीर से लेकर मैक्समूलर तक, बुद्ध से लेकर बिड़ला तक और क्राइस्ट से लेकर किरण बेदी तक, यही फार्मूला काम करता आया है। दुनिया में ऐसा कौन-सा व्यक्ति है जिसने श्रम नहीं किया हो, संघर्षों का सामना नहीं किया हो। हर किसी व्यक्ति को मुसीबतों की खाइयों को पाटना ही पड़ता है। बाधाओं की चट्टानों को पार करना ही पड़ता है।
सफलताएँ न तो किसी अवतार की तरह आकाश से प्रकट हुआ करती हैं और न ही किसी आलादीन के चिराग की तरह भूमि को फोड़कर निकला करती हैं । कामयाबियाँ तो व्यक्ति के अपने नजरिए का परिणाम हुआ करती हैं। चाहे आप व्यवसाय से जुड़े हुए हों, या राजनीति से, चाहे आप ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े हों या फिर धर्म या अध्यात्म के क्षेत्र से, हर व्यक्ति को अपने आप में बेहतर नजरिये का मालिक होना ही होगा। .
प्रत्येक व्यक्ति को जोखिम उठानी होगी, खतरों का सामना करना होगा। जो व्यक्ति जिंदगी के जंगल को पार करना चाहता है, उसे इस जंगल की राह में आने वाले हर अवरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।आखिर ऐसा कौन कामयाब व्यक्ति है जिसने अपने जीवन में नाकामयाबी का सामना न किया हो। हर कामयाबी के पीछे नाकामयाबी का शिलालेख लिखा हुआ रहता है। हर सफलता के पीछे असफलता की कहानी छिपी रहती है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे कदम बढ़ाते ही सफलता मिल गई हो।
वे लोग अपनी ओर से कामयाबी हासिल नहीं कर पाते जिनके हृदय में नाकामयाबी का भय छिपा रहता है। जिन लोगों का मनोबल कमजोर होता है, जो लोग सफलता का शॉर्टकट खोजा करते हैं या फिर जो लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति तुरन्त करना चाहते हैं, जिनके जीवन का कोई 'एम' अथवा लक्ष्य या उद्देश्य नहीं है, वे हर स्थिति में असफल रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए जीने का कोई खास औचित्य नहीं है। असफल होना कोई पाप या अपराध नहीं है, पर असफल होने के भय से सफलता के लिए प्रयास ही न करना अपने आप में पाप अवश्य है। क्या करें कामयाबी के लिए?
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