Book Title: Vedant Chintamani
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Page 13
________________ Dटायाकार देनमृत्सात_पिवस्तुतः॥७॥लयेऽपिशकलाःसुक्ष्मा:सूक्ष्माजायंतएव हि ॥तेमृद्येवप्रलीयंतइत्यन्नेऽप्यस्यमृत्ति का // 8 // तथाब्रह्मैवात्रपूर्वमतेब्रह्मैवशिष्यते // मध्येक्रीडार्थभेदार्थनानातेनेच्छयारुतं // 9 // सर्वाकारंसर्वशक्तिसर्वध श्रियोहितत् // सच्चिदानंदरूपंचतस्मादाविरभूजगत् // 10 // जडजीवांतरात्मानःपूर्वमाविष्कृताइमे // एकंद्वयंत्रयंतत्र || दायास्थापयद्विभुः // 11 // जडेसदंशःप्रकटश्चिदानंदौतिरोहितौ // जीवेचसच्चितावंतर्यामिण्येतत्रयंस्फुटं // 12 ॥स नामविद्यतेचिच्चचैतन्येनप्रकाशते // आनंदःप्रियतातीवत्येषांप्रत्यक्षलक्षणम् // 13 // जडंसर्वमृदश्मादिक्रियाशून हियत् / / सत्तामात्रंजडस्यास्तिनप्रीतिर्नप्रकाशनम् // 14 // तनोर्यत्संबंधएवश्वासादिर्नशवेऽन्यथा // सोडणुमात्रश्चट स्थानोजीवोजीवनकारणं // 15 // सविद्यतेऽखिलेदेहेचैतन्येनप्रकाशते / / जीवनविषयानंदोयद्यप्येषोऽनुभूयते न्यूनाधिकःसक्षणिकोनपूर्णानंदउच्यते // तस्यैवानंदस्यमात्रामुपजीवंतिहिश्रुतिः // 17 // भिन्नःप्रतिशरीरंयोऽणुर्हत्स्था हंसशब्दभाकू // साक्षीसोंतःस्थितःस्पष्टंतत्रतत्रेयमेवहि // 18 // अतैनातनःसृष्वाजीवांतर्यामिणावुभौ ॥प्रत्येकंसं स्थाप्यजीवान्माययामोहयत्पभुः // 19 // जडेष्वपीच्छयाधर्मास्तिरोभाव्याखिलान्निजान् // केचित्कचित्क्वचित्केचि, च्छेषिताभेदसिद्धये // 20 // प्ररोहोमाईकिंचिदृक्षेकाठिन्यमश्मसु // अप्ररोहश्वेतिभेदोमृज्जातेष्वपिगम्यते // 21 // अनु Mणाशीतलस्पीभवाय्वोरप्सुशीतलः॥ सतेजस्यष्णएवेतिधर्माणामप्यनेकता॥२२॥चिदायजावतोरूपेबव्हाकारप्रकारतः।। 1 चेष्टा 2 चेतनासमवधानात् 3 अस्मित्वप्रत्ययः 4 अंतर्यामी 5 सच्चिदानंदाः 6 आकाशादिभिः

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