Book Title: Vedant Chintamani
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________________ पि॥ 24 // अथवापरमात्मानंफरमानंदवियहं // इत्यानंदमयाकारःसर्वत्राप्राकृताखिलः॥ 25 // निषित्थ्यप्राकृत विधत्तेऽप्रारुतंश्रुतिः // सार्वत्रिकत्वकथनात्तस्याप्रारुततास्फुटा // 26 // सामान्योक्तनिषेधेषुलोकसिद्धांशसे Fधनं // निषिध्यधर्मान्सर्वत्रप्रायोधर्मान्हिवक्तिसा // 27 // नन्वानंदमयंब्रह्माऽऽप्राकृतप्राकृतजगत् // निरानंदंकथं ब्रह्मकाय॑तद्रूपमद्वयं // 28 // इतिचेदुक्तमेवैतद्वहुत्वायाखिलंकृतं // आनंदांशोऽखिलाधर्मास्तेतिरोभाविताइह / / // 29 // ब्रह्मधर्मतिरोनावादन्योन्याभावदर्शनात् // आविर्भावतिरोभावाभ्यामिदंदृश्यदूषणं ॥३०॥रागमात्रघटेमृत्स्ना सर्ववर्णाविलक्षणा॥ दृश्योनवास्तवोभेदस्तथात्राप्यवधार्यताम् // 31 // जगत्तुब्रह्मणोभिन्ननब्रह्मजगतःपृथक् // सृष्टि काले पिहिघटोमृदोभिन्नोनमृद्दटात्॥३२॥करस्त्ववयवत्वेनशरीराद्भिद्यतेऽशकः / शरीरंनकराद्भिन्तस्यावयवितांडशिता IF॥३३॥कार्याणिभिन्नभिन्नानितथात्वात्तस्यवीक्षया ॥प्रारुतानि विबुध्यतायथासामान्यदर्शनं // 34 // सर्वात्मकमनुस्य / सर्वत्रब्रह्मकारणम् // सर्वधर्माश्रयत्वेनातथात्वात्तदलौकिकं // 35 // उक्तवाक्येऽप्यतोरूपंनिरूप्याशंक्यभिन्नतां // सर्वत्रचस्वगतभेदविवजिततोच्यते // 36 // व्याप्नेर्दशमवाक्येऽपिगुणानांगृह्यमाणता // निरूपयंतिश्रुतयस्तस्मादुक्तव्य | 1 भगवतश्चक्षुरादेः 2 लोकतुल्यावयवनांनिषेधः 3 उपनिषन्मु 4 अतिः 5 तिरोहितचिदानंदत्वात्तिरोहितधर्मवाच्च 6 बहुस्यांप्रजायेयेति - सामान्यतोयथालोकदृष्ट्यादृश्यते ब्रह्मविदांत्विमान्येवामाकतानि 8 निदोषपूर्ण गुणेति 9 गृह्यमाणैस्त्वमयाझं 10 ब्रह्मकर्तृकामारुतगुणनिष्ठानतुगु *णकर्तृकाब्रह्मनिष्ठा 11 माकृतस्यनिषेधो प्राकृतस्यविधिः

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