Book Title: Vedant Chintamani
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Page 42
________________ प्र वेचि.रूपता // 25 // यत्रयेनेतिपयोक्ताऽऽप्येतदर्शयिष्यते // सर्गातरेतात्वेऽपिनिर्दीनंतृतदेवहि // 26 // अंत्रोर्णनाभि टांतोऽप्यनेकत्रनिदर्श्यते // समवायऽप्यविकतिःपूर्वमेवपदार्शता // 27 // सर्वत्राद्वैतमेवोच्चैर्वदतिश्रुतयोऽखिलाः॥ पुमा र कथंचिदपिहिद्वैतज्ञानेऽपिदुष्यति // 28 // द्वासुपर्णाश्रुतौसृष्टौजीवांतर्यामिणोभिदा // पक्षाश्रयत्वसेंहजत्वादिनैवपर। स्ययत् // 29 // तत्त्वमस्यादिवाक्यानितदभेदंवदंतिच / / अभेदोंशांशिभावेनब्रह्मस्वांशःसयन्मतः॥ 30 // स्वांशत्वम शोनानाव्यपदेशादित्युपक्रमात् // व्यासेनबोधितसूत्रेस्तथास्मृतिपुराणयोः॥ ममैवांशोजीवलोकजीवभूतःसनातनः // मनःषष्ठानींद्रियाणिप्रकृतिस्थानिकर्षति // 32 // (स्कंध 10) स्वलतपुरेष्वमीष्वबहिरंतरसंवरणंतवपुरुषंवदंत्यखिल शक्तिधृतोंशरुतम् // इतिगतिविविव्यकवयोनिगमावपनंभवतउपासतेंघिमभवं विविश्वसिताः॥ 33 // भेदाभेदंब्रुवा तिआचार्यों निम्बार्कभास्करी // निम्बार्काणांमतभेदोवास्तवोमाध्ववन्मतः॥ 34 // पत्रादयोविभिन्नांशाःस्वांशाःकर पदादयः॥ विभिन्नांशाइमेजीवाइतिभेदोविनिश्चितः॥ 35 // एषांचित्त्वेनसाधादभेदोऽपिनिरूप्यते // मखस्याल्हा दकत्वेनसादृश्याञ्चंद्रतायथा // 36 // अंशत्वंमाध्ववत्तेषांभेदाभेदौव्यवस्थया // सिद्धांतवदणुत्वादितत्राप्यवहितःशृणु। For37 // स्वांशत्वमेवजीवानांममैवेत्येवकारतः // हेतुःसंगच्छतेनानाव्यपदशोनतेमते // 38 // पादोऽस्यविश्वातानीति निबंधे यत्रयेनयतोयस्येतिरोभागवतवचनव्याख्याने 2 कदाचित्पुरुषदारेतिनिबंधोक्तेः 3 प्रकृतेर्जगत्कारणत्वे 4 प्रकृतिकारणत्वाजग तआदिकारणं 5 ब्रह्मैव 1 अभिन्ननिमित्तोपादानत्वे 7 देहाश्रयन्वं 8 सदृश९ जीवः 10 उपक्रमंविधाय ल्यब्लोपेपंचमी मा

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