Book Title: Vedant Chintamani
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________________ 18 वे-चि. श्रीवेदांतचितामणौब्रह्मसाकारत्वविवेकोनामनवमंप्रकरणम् // 9 // // // // शुद्धाद्वैतवस्तुतस्तुनानाभेदंनिजेच्छया // स्वाभिनशक्तिधर्माणंनुमोनानामतस्तुतं // 1 // ब्रह्मैवैकंप्रपंचस्यनिमित्तंसमवा यिच // पुराणेकरणंमायातच्छक्तिर्दवन्मता॥ 2 // अचित्याविविधानित्याःस्वाभाविक्योऽस्यशक्तयः // ज्ञानकि / यादिभेदेनस्वाभिन्नाःस्ववशाविभोः // 3 // श्वेताश्वतरेनतस्यकायंकरणंचविद्यतेनतत्समश्चाभ्यधिकश्वदृश्यते / परा स्यशक्तिर्विविधैवश्रूयतेस्वाभाविकीज्ञानक्रियाबलंच॥ 4 // यःसर्वज्ञःसर्वशक्तिरित्यादिश्रुतिभिःश्रुताः / तासुमायाप्य / घटितघदनायांपटीयसी ॥५॥(स्कंध१०)श्रियापुष्ट्यागिराकान्त्याकीया॑तुष्ट्येलयोर्जया॥ विद्ययाविद्ययाशक्त्यामाय / याचनिषेवितम् // 6 // इतिभागवतोक्तासुमुख्यासुद्वादशस्वियम् // गणिताकारणत्वेनपुराणेपरिवर्णिता // 7 // (प्रथ मस्कंधे ) सएववेदंससर्जायेभगवानात्ममायया // सदसदूपयाचासौगणमय्या गणोविक्षः॥८॥ सामर्थ्यसर्वभवनेतस्य / मायेतिकथ्यते // शक्तित्वात्तदभिन्नासाविचित्रपरिणामकृत् // 9 // क्वचिसंमोहिकामायाऽविद्यैवव्यपदिश्यते // बहवो Oहिमायायागीताभाष्येप्रदर्शिताः // 10 // मायाशब्दःक्वचिच्छास्त्रेहरिसामर्थ्यवाचकः // क्वाप्यविद्यामृषावाचीकपा कपटवित्तवाक् // 11 // शक्तिशक्तिमतो.दोवस्तुबोधायकेवलम् // अभेदोवस्तुतोनाक्ष्णोदृष्टिशक्तिःपृथग्भवेत् // // 12 / / नधर्मधर्मिणोद्वैतमप्यस्याप्राकृतस्यतु // (अ०३ पा०२ मू०२८)प्रकाशाश्रयवद्वातेजस्त्वादितिहिमूत्रितम्। 1 तत्वदीपिकाख्ये अजोपिसन्नव्ययात्मन्यस्यव्याख्याने 2 पुरुषधतवस्त्रवत्पृथक्कर्तुनशक्यते

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