Book Title: Vedant Chintamani
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 90
________________ बे.चि. मांदेकैकमितकामदाः // 166 // दातुंशक्तानभक्तिंचमुक्तिमीशोऽपिभोगदः // खटांगमुचुकुंदादिभ्योनमुक्ति / 015 मददुस्ततः॥ 167 // अलौकिकःकल्पतरुःस्वाभाविकरुपांबुधिः // प्रारषेण्योनवोमेघःसर्वकामांबुवर्षणे // 168 // व्यःसदासएवैकोऽसोम्याधिक्योऽखिलेश्वरः॥ मकुंदएवशनोतिदातुंमुक्तिस्वसेवनम् // 169 // वैष्णवानांकष्णएवस्व दिवंतदतिक्रमे // दोषःकांडेद्वितीयस्मिन्संहितायांश्रुतोहिनः // 170 // योवैस्वांदेवतामतियजते // प्रस्वायैदेवतायैच्यव ते // नपरांपामोति // पापीयान्भवतीति // स्वल्पदान्सुलभक्रोधान्दुःखसाध्यास्तदंशकान् // त्यत्कासर्वप्रदंस्वल्पतोष।। सेवध्वमंशिनं // 171 // पांडवगीतायां / / वासुदेवंपरित्यज्ययोन्यदेवमुपासते // तृषितोजान्हवीतीरेकपंखनतिदुर्मतिः॥ // 172 // द्वितीयस्कंधे // अकामःसर्वकामोवामोक्षकामउदारधीः // तीव्रणशक्तियोगेनयजेतपुरुषपरम् // 173 // निष्कामोऽपितेदंगत्वंमत्वासेवेतचेदृथा / यथातरोर्मूलनिषेचनेनेतिगतार्थता // 174 // तस्मादनन्यभावेनमेवैकंयआ 1.श्रितः॥ दैन्यान्निःसाधनंहष्णःसंसारात्किनमोचयेत् // 175 // अभेदाद्भजतोमत्तांवेवंसंभाषणादिकः॥ साक्षात्कारो भवेत्तस्यभगवान्परवानिव // 176 // यथार्मुरारिदासाद्याःस्वाचार्यरुपयाऽगमन् // एतद्रहस्यं परममनुभूयैवबुत्थ्यते॥ शिवः 2 नतत्समश्चाभ्यधिकश्चदृश्यतइतिश्वेताश्वतरादिश्रुतिभ्यः ३.तीयस्यङिस्मूपसंख्यानमितिवात्तिकात्साधः 1 अस्माकंतैत्तिरीयाणां 42 5 देवानांभगवदवयवरूपत्वं 6 यथातरोमूलनिषेचनेनतृप्यंतितत्स्कंधभुजोपशाखाः // प्राणोपहारोबलिरिद्रियाणांतथैवसाईणमच्युतेज्येतिभा गवतायुक्तन्यायात् 7 कृष्णं 8 जीवं 9 साक्षाद्भगवानेवायमितिबुझ्या . एषामाख्यायिकाश्चरित्रग्रंथेभ्योञयाः

Loading...

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103