Book Title: Vedant Chintamani
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Page 92
________________ A 015 RT 1p final बेच अ० 11) ममोत्तमश्लोकजनेषुसख्यंसंसारचक्रे भ्रमतःस्वकर्मभिः // त्वन्माययात्मालजदारगेहेष्वासक्तचित्तस्य ननाथभूयात् // 188 // नचेदेवंत्यजेद्हंजेदेकोनिजेश्वरम् // व्रजेद्यथारुचिस्थानंव्रजेत्रायोवसंतिते // 189 // सर्वत्रवाश्रमेद्भूमौसंगंकाततादृशां // लोकदृष्ट्यासुखंदुःखं मित्रवद्धरयेवदेत् // 19 // पारतंत्र्यंभगवतःस्वातंत्र्यंतस्य जायते / तादृशानांदशामाहस्वयंदुर्वाससंहरिः॥१९१॥ (स्कंध 8) अहंभक्तपराधीनोझस्वतंत्रइवद्विज // साधभियी स्तदृदयोभक्तैर्भक्तजनप्रियः॥ 192 // नाहमात्मानमाशासेमद्भक्तैःसाधुभिविना // श्रियंचात्यंतिकीब्रह्मन्येषांगतिरही परा॥१९॥येदारागारपुत्रानान्प्राणान्वित्तमिमपरं // हित्वामांशरणंयाताःकथंास्यक्तुमुत्सहे // 194 // मयिनिर्बद्ध दयाःसाधवःसमदर्शनाः // वशेकुर्वतिमांभक्त्यासस्त्रियःसत्पतियथा // 195 // मत्सेवयाप्रतीतंचसालोक्यादिचतुष्टयम् // नेच्छंतिसेवयापूर्णाःकुतोऽन्यत्कालविद्रुतम् // 196 // साधवोदयंमांसाधूनांदृदयंत्वहं // मदन्यत्तेनजानंतिनाते भ्योमनागपि // 197 // इति|महानुभावाभाषतेजीवन्मुक्तिमिमापराम् // अमृतत्वंपरामुक्तिःसआकारस्त्वलौकिकः॥ T198 // आनंदाशतिरोधानेनिराकारत्वमीरितं // पुनस्तदाविर्भवनेभवेदप्रारुताकतिः॥ 199 // तेननास्यपरिच्छेदो / नभेदोहयहस्तिवत् // नावन्मात्रताऽऽकारेजरादीनांकसंभवः // 2.. // भाष्यादौस्पष्टमेवैतत्तेननात्रप्रपंच्यते // धर्मावि सर्वानकल्यनचेत् 2 परमभक्ताबहुशात्रजदेविचरंति 3 मुक्तस्यवस्तुतःसुखदुःखादिवाभावात् 4 हयादीनामन्योन्यभेदवदीश्वरानेदः जीवदेहविभागश्च 5 कामान्नीकामरूप्यनुसंचरन्नित्यादौकामरूपत्वभवणादाकारेनियतत्वं 6 आनंदस्यैश्वर्यादिधर्माणांच 44

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