Book Title: Vedant Chintamani
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Page 91
________________ // 177 // नतेचतुर्विधांमुक्तिवांछंतिमनसाक्वचित् // तदुक्तंहरिणासेवारसरितरैरपि // 178 // सालोक्यसाटि सामीप्यसायुज्यैकत्वमप्युत // दीयमानगृण्हति विनामत्सेवनंजनाः // 179 // मधुद्विट्रसेवानुरक्तमनसामभवोऽ पिफल्गः // नयोगसिद्धीरपुनर्भवंवा० // नेच्छंतिसेवयापूर्णाःकिमन्यत्कालविद्रुतम् // इतिमोक्षेऽप्यनाकांक्षालौकि Hकतकतस्तराम् // 180 // सर्वब्रह्मात्मकंतत्रसलीलंपुरुषोत्तमं // पश्यन्नतिदृढस्नेहोऽप्यलक्ष्यचरितोभवेत् // 181 // तेन H.जातःपरांभक्तिमहोयांतिगृहेस्थिताः / श्रीमदाचार्यरुपयानान्यथातपसावने // 182 // अणोरणीयान्महतोमहीया नात्मागुहायांनिहितोऽस्यजंतोः / / तमक्रतुंपश्यतिवीतशोकोधातुःप्रसादान्महिमानमीशं // 183 // प्रभवोभक्तिहेतौतत्सि ॥द्धिमाकुरनुपहात् // नसाधनैर्जीवरुतैस्तनुजाद्यप्यनुग्रहात् // 184 // मुंख्यंहितस्यकारुण्यं भक्तिसूत्रेऽपिवर्णितम् // पु ष्टिमार्गोऽयमेवस्यात्पोषणंतदनुपहः // 185 // एतादृशस्यभगवदत्यंतरुपयायदि // गृहस्थास्तादृशाःसर्वेतदानत्यागइ। भाष्यते // 186 // नियतंकुरुकर्मत्वंसंगत्यकासमाचरेत् // इतिगीतासुनिर्णीतंत्रोमोक्षमि मंजगौ // 187 // (स्कं. पश्यन्नपिविक्षिमवद्भासमानः 2 शारीरसेवातः 3 तैत्तिरीयेनारायणोपनिषदिकिंचित्पाठभेदेनकठवल्लीषुचपठ्यते 1 भगवतोऽनुग्रहा सत् 5 प्रभवःश्रीविठ्ठलाचार्याः 6 ग्रंथविशेषे 7 भक्तिसिद्धि 8 ननुद्दिविधसेवातस्तरिसद्धिःपूर्वमुक्तेतिचेत्सत्यं परंतयोरप्यनुग्रहसाध्यत्वादनुग्रहकै निदानकत्वंभक्तरक्षतमितिभावः 9 अ०२मू 19 शांडिल्यमुत्र मुख्यंनिदानम् 10 पुष्टिरनुग्रहस्तत्मधानोमार्गः 11 द्वितीयस्कंधवचनमिदं 12 स्त्री पत्रादयः १३भिन्नवाक्यस्थंपादद्वयं 14 स्वगृहेप्रेमपूर्णसर्वचित्तकारणभगवगुणगानादिरूपं

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