Book Title: Vedant Chintamani
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________________ भोगीचांडालोजन्मकोटिषु // 250 // इदंबृहन्नारदीयंपृथ्वीचंद्रोदयेस्थितं // अंकनंतप्तमुद्रास्याच्छूद्रतांत्रिकयोश्च / सा // ऊर्ध्वपुंडंतुभगवत्प्रसादद्रव्यतोमतं // वैष्णवानांचशैवानांद्विजानांनित्यमुच्यते // 251 // मदनपारिजातेच ब्राह्मे // यागोदानंतपोहोमःस्वाध्यायःपितृतर्पणं / अस्मीभवतितत्सर्वमूर्ध्वपुंडविनाकतं // 252 // स्कांदमार्गशीर्षमाहा।। म्येऽपीदमेववाक्यम् / / धर्मप्रत्तौस्मृतिसारसमुच्चयेऊर्ध्वपुंडविधिप्रक्रम्य // ललाटेतिलकंरुत्वाकुर्युःशैवाश्ववैष्णवाः॥ तर्पणंचापिवैश्राद्धमन्यथानिष्फलंभवत् // 253 // आचारमयूखेचशौनकः // ऊर्ध्वपुंइंशिवस्यैवंविष्णोःकुर्युश्चवाब धाः // मूधिमूलेनमंत्रणशेषंद्वादशनामभिः // 254 // धर्मप्ररत्तौस्मृतिसारसमुच्चये // ऊर्ध्वपुर्बुद्विजातीनामग्निहोत्रस मोविधिः // इत्यावश्यकतासिद्धासर्वथासांतरंतुतत् // 255 // चतुर्विशतिमतव्याख्यायांमदनपारिजातसंग्रहः॥ एका तिनोमहाभागाःसर्वभूतहितेरताः // सांतरालंप्रकुर्वतिपुंड्रहरिपदाकति // 256 // इत्यादि // पाद ऊर्ध्वपुंड्राध्याये // ऊ / @पुंड्तुसर्वेषांननिषिद्धंकदाचन // धारयेयुःक्षत्रियाद्याविष्णुभक्ताभवंतिये // 257 // इतिसर्वेषुवर्णेषुवैष्णवानांतदी रितं / निषिध्यतेशिवेनैवपालेभस्मत्रिपुंडकं // 258 // विषाणांनैवधाय॑स्यात्तिर्यक्पंडादिधारणं // नारायणात्परब मादन्येषामर्चननहि // 259 // ब्राह्मण:कलजोविद्वान् भस्मधारीभवेद्यदि // वर्जयेत्तादृशंदेविमयोच्छिष्टंघटयथा // PA // 26 // त्रिपुंडशूद्रकल्पानांशूद्राणांचविधीयते // त्रिपुंडधारणाद्विप्रःपतितःस्यान्नसंशयइति // 261 // त्रिपुंड १नांकन विमहेवेदपथानमाश्रितइत्यादौ वृषोत्सर्गादौतथामसिद्धेः

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