Book Title: Vedant Chintamani
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Page 96
________________ -- - वे-चि. पूजांगंशंखचक्रादिगोपीचंदनमृत्ाया // कुर्यान्निषेधस्तमायाःपूजाशून्येक्वचिन्मृदः // 237 // आचारप्रकाशेऊर्ध्व |.15 पुविधौहलायुधीये। गोपीचंदनमुद्रांचकत्वाश्रमतिभूतले॥ सोपिदेशोभवेत्पूतःकिपुनर्यत्रसंस्थितः / / 238 // पाझे // कृष्णनामाक्षरैर्गात्रमंकयेच्चंदनादिना // सलोकपावनोभूत्वातस्यलोकमवामुयात् // 239 // तथाभगवद्वचः // मात्र माऽवतारचिन्हानिदृश्यंतेयस्यविग्रहे॥ मोमोनविज्ञेयःसननंमामकीतनः // 240 // नीलकंठान्हिकेचसनत्कुमा / रः // कृष्णायुधांकितेदेहेतोयचंदनमृत्स्नया // प्रयागादिषुतीर्थेषुसगत्वार्किकरिष्यति // 241 // यदायदाप्रपश्य / तदेहंशंखादिचिन्हितं / / तदातदाजगत्स्वामीतृष्टोहरतिपातकम् // 242 // पादोभगवान् // गोपीचंदनमृत्स्नायालिखि यस्यवियहे / शंखचक्रगदाप तस्यदेहेभवाम्यहं // 243 // सौवर्णराजतंताम्रकांस्यंमृन्मयमेववा // चक्रंकत्वातुमे धावीधारयेत विचक्षणः // 244 // उपवीतादिवद्धाऱ्याःशंखचक्रगदादयः॥ ब्राह्मणस्यविशेषेणवैष्णवस्यविशेषतः॥ Bilm 245 // इत्थंविधीयतेमुद्रामृन्मयीधातुचक्रतः // द्विजानामपिधर्मोयमुपवीतातिदेशतः // 246 // मार्गशीर्षमाहा म्यतृतीयाध्याये // चकलांछनहीनस्यविप्रस्यविफलंभवेत् / / क्रियमाणंचयत्कर्मवैष्णवानांविशेषतः॥२४७ // इ. त्यावश्यकतास्कांदेवर्णिताविप्रधर्माता // प्रस्तुत्यमृन्मयींमुद्रांपूजांगत्वंयथोदितं // 248 // शंखचकादिरहितःपूजांय स्तुसमाचरेत् // निष्फलंपूजनंतस्यहरिश्चापिनतुष्यति // 249 // यस्तुसंतप्तशंखादिलिगांकिततनुर्नरः // ससर्वयातना 1

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