Book Title: Vedant Chintamani
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________________ मगोपीमृदांकितम् // तुलसीमालिकोरस्कंनस्पृशेयुर्यमोद्भटाः // 223 // गारुडेमाकंडेयः // निवेयकेशवेमालांतुलसी काष्ठसंभवां // वहतियेनराभक्त्यातेषांवनास्तिपातकं // 224 // तदाप्रीतमनास्तस्मिन्कृष्णोदेवकिनंदनः / / तुलसी काष्ठसंभूतंशिरोबाहुविभूषणं // 225 / / तुलसीकाष्ठमालांतुप्रेतराजस्यदूतकाः // दृष्वानश्यंतिदूरेणवातोद्भूतंयथारजः // 226 // तुलसीकाष्ठसंभूतेमालेकृष्णजनप्रिये / बिमित्वामहंकंठेकुरुमांकृष्णवल्लभम् // 227 // तुलसीदलजामाला 2 निषिद्धाकालपंचके / होरीतनशिवःपाञविधत्तेतद्धतिसदा // 228 // स्नानकालेतुयस्यांगेदृश्यतेतुलसीशुभा // गंगा दिसर्वतीर्थेषुस्नातंतेजनसंशयः // 229 // तुलसीमालिकांधृत्वायोभुंक्ते गिरिनंदिनि // सिक्थेसिक्थेसलभतेवाजपेयफ। शुभं // 230 // बहुनाकिमिहोक्तेनशृणुत्वंवरवणिनि // विडुत्सर्गादिकालेपिनत्याज्याकंठमालिका // 231 // तथा यत्कंठेनुलसीनास्तितेनरामूढमानसाः // अन्नविष्ठाजलंमूत्रंपीयूषंरुधिरंभवेत् // 232 // ततःसर्वेषुकालेषुनत्याज्याकंठ मालिका // क्षणार्द्धतद्विहीनोऽपिविष्णुद्रोहीनसंशयः // 233 / / स्कांद। तुलसीकाष्ठमालांयोधृत्वाभुंक्तेद्विजोत्तमः।। सि PI क्थेसिक्थेसलभतेवाजपेयफलंमने // 234 // तुलसीकाठमालांयोधृत्वास्नानसमाचरेत् // पुष्करेचप्रयागेचस्नातंतेन / तुनीश्वर / / 235 // तत्रैव / / यज्ञोपवीतवद्धार्याकंठेनुलसिमालिका // नाशौचंधारणेतस्यायतःसाब्रह्मरूपिणी // 236 // 1 लानभोजनमैथुनमलमूत्रविसर्जनकालेषु 2 स्वस्मृतौ ३स्नानभोजनादिकालेष्वपितकाष्ठमालाधृति ? आदिपदान्मैथुनमूत्रोन्सर्गादिसंग्रहः।

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