Book Title: Vedant Chintamani
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ पियथैकस्मिन्कलशेव्याप्यतिष्ठतः॥ 11 // यथेारसयोःसर्पिर्दनोश्व तिलतैलयोः // अलोकोव्यापिवैकंठःक्वचिरोलो कइत्यपि // 12 // तदेवपरमव्योमपरंधामपरंपदं / अक्षरंबृहदव्यक्तंपर्यायःपरिकीर्त्यते // 13 // परमात्मापरब्रह्मेत्या दिभिःपुरुषोत्तमः // बहुस्फुटीकतवेदोदौतद्रूपंतथास्मृतिः॥ 14 // अव्यक्तोक्षरइत्युक्तस्तमाहुःपरमांगति // यद्गत्वाननि / वर्ततेतद्धामपरममम // 15 // पुरुषःसपरःपार्थअत्यालभ्यस्त्वनन्यया।इत्युक्तोसत्येकलभ्योऽपरःपुरुषोत्तमः।।१६॥ तेदास्थायनिजधामेच्छानुरूपविधायक // लीलानित्याःस्वयंशुद्धाअनिरुद्धादधातिसः॥ 17 // अनागंतकधर्मत्वात्त। लीलास्वखिलास्वपि // नशुद्धाद्वैतबाधःस्याद दाद्धर्मधर्मिणोः // 18 // ननचेदक्षरंनित्यनित्यश्चपुरुषोत्तमः // भेदः / स्याद्वास्तवोद्वैतंनचेन्यूनोऽक्षरःकथं // 19 // इतिचेन्नहरिय॑त्रप्रियमोदःप्रमोदवान् // आनंदात्मापक्षिरूपस्तैत्तिरीयेषुप / / / ठयते // 20 // ब्रह्मपुच्छंप्रतिष्ठेतिपुच्छंतत्राक्षरंश्रुतं / / नपुच्छंपक्षितोमिन्ननाक्षरंपुरुषोत्तमात् // 21 // सर्वावयववान्प / / / क्षीस्वतंत्रःपुच्छतोधिकः // पुच्छंत्ववयवत्वेनन्यून दोनवस्तुतः // 22 // अल्पधर्मकमेकांशभूतंन्यूनंतथाक्षरं // सर्वधा / 1 अवतिलेषुतैलंदधनीवसपिरित्यादिश्रुत्यनुग्रहोपिद्रष्टव्यः 2 पश्यतांसर्वलोकानामलोकंसमपद्यतेतिभागवतादौ 3 बृहदामनपचंरावादिषु 1 ||4 अक्षरब्रह्मैव 5 तदक्षरेपरमेव्योमन् ऋचोअक्षरपरमेच्योमनप्रतिष्ठिताइत्यादिश्रुतिषु 6 अव्यक्तोक्षरइत्युक्तइतिगीतादौ . तयोरैक्यपरब्रह्म उत्तम पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदात्हतः ब्रह्मेतिपरमात्मेत्यादिश्रुतिस्मृतिपुराणेषु 8 पर्यायः 9 मुंडकाद्युपनिषत्सु 10 गीतावाक्यं" अक्षरं 12 पुरुषोतमः 13 ब्रह्मवल्लयां 14 अन्योत्तरआत्मानंदमयः तस्यपियमेवशिरइत्यादिना

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103