Book Title: Vedant Chintamani
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________________ संग्रहेणप्रवक्ष्ये // 19 // इत्यादिनाऽऽहप्रणवाभिधेयंस्वपदहरिः // यदक्षरंतर्देवतत्कठवल्लीषुपट्यते॥ 50 // सर्वेवेदायत्पनी B. दमामनन्तितपांसिसर्वाणिचयद्वदन्ति / यदिच्छन्तोब्रह्मचर्यचरन्तितत्तेपदसंग्रहेणंब्रवीम्योमित्येतत्॥ 51 ॥एतत्ध्येवाक्ष रब्रह्मएतदेवाक्षरंपरम् // एतत्ध्येवाक्षरंज्ञात्वायोयदिच्छतितस्यतत् // 52 // एतदालम्बनंश्रेष्ठमेतदालम्बनपरम् / / एतदा लम्बनंज्ञात्वाब्रह्मलोकेमहीयते // 53 // इतिवल्ल्यांद्वितीयस्यांतृतीयस्यांचमण्यते // यःसेतुरीजानानानामक्षरंब्रह्मयत्प रम् // 54 // इत्यक्षरंनिरुप्यास्यप्राप्त्यप्राप्योश्चकारणे / सोऽध्वनःपारमामोतितद्विष्णोःपरमपदम् // 55 // इत्यन्तेनो है दितेतैस्मादुत्तमोऽपरःश्रुतः // महतःपरमव्यक्तमध्यक्तात्पुरुषःपरः॥ 56 // पुरुषान्नपकिचित्साकाष्ठासापरागतिः॥ इतिश्रुत्युदितोदेवोगीतासुबहुणितः // 57 // पुरुषःसपरःपार्थक्त्यालभ्यस्त्वनन्यया॥ मुंडकोपनिषद्युक्त्वाऽक्षरंप्रोक्तः परःपुमान् / / 58 // दिव्यायमूर्तःपुरुषःसबाह्याभ्यन्तरोझजः / अप्राणोह्यमनाःशुभोरक्षरात्परतःपरः॥ 59 // इत्यादि। नाविविच्योक्तौस्पष्टतपराक्षरौ // एकस्यैवैच्छिकाद्भेदाच्छुद्धाद्वैतंचदर्शितं // 6 // पराक्षरविवेकोयंकार्यादेस्तारतम्य को समान मा १पदंपदनीयंप्राप्यं 2 यत्प्राप्त्यर्थानीतिभाष्याशयः 3 तुभ्यंनचिकेतसे 4 भगवद्धाम 5 भगवद्धाम्नःप्रणववाच्यत्वंभागवतद्वादशस्कंधेपिप्रसि पद्धं स्वधाम्नोब्रह्मणःसाक्षााचकःपरमात्मनइति 6 ओंकारवाच्यं 7 क्षरजगदपेक्षयापरं८ भगवन्निलयः ९ब्रह्माभिज्ञजनेषु यद्वा ब्रह्माख्यलोके परब अणोवालोके 10 विज्ञानाविज्ञानादिरूपे 11 कथिते 12 अक्षरात 13 वेदांतेष्वक्षरशब्दस्पप्रधानपरत्वनिरासस (अ. 1 पा०३ सू०१०) अ. शरभंबरांतधृतेरियधिकरणएवकतः 14 क्षरात्परंयदक्षरंतस्मादपिपरः 15 मुंडके

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