Book Title: Vedant Chintamani
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Page 70
________________ केचि. गोविशुः ॥३८॥तयाविलसितेष्वेषुगुणेषुगुणवानिवा|अंतःप्रविष्टआभातिविज्ञानेन विजूंभितः॥३९॥यथासवहितोवन्हि प्र०१४ रुष्वेकःस्वयोनिषु॥नानेवभातिविश्वात्माभूतेषुचतथापुमान् // 40 // असौगुणमयैर्भावैर्भूतसूक्ष्मेंद्रियात्मभिः // स्वनि / 33 मितेषुनिर्विष्टोभुक्तभूतेषुतद्गुणान्॥४१॥ भावयत्येषसत्वेनलोकान्वैलोकभावनः // लीलावतारानुरतोदेवतिर्यङ्नरादिषु / Em 42 // इत्युक्तं सर्वमुदितंश्रीमद्भागवतादिषु // श्रुतिप्रसिद्धंतत्सिद्धंशुद्धमद्वैतमुज्ज्वलं // 43 / / चतुष्टयेप्रमाणानामविरो धाद्विचारिते // श्रीमदाचार्यसिद्धांतान्नवर्णोऽप्यन्यथाभवेत् // 44 // सर्वप्रमाणविषयःसर्वशक्तिःस्वयंप्रभुः॥ पूर्णानंद रसात्मासौक्रीडत्यध्यात्मधामनि // 45 // यादृशंधामतत्तत्रयथाकीडायथाहरिः।। लीलार्थतस्यरूपाणियथानानातथा खिलं॥ 46 // बृहद्वामनसंज्ञेतत्पुराणेखिल्यउत्तरे // ब्रह्मभृग्वादिसंवादेस्पष्टतदिहलिख्यते // 17 // ब्रह्मोवाच // षष्टिवर्षसहस्राणिमयातनंतपःपुरा // नंदगोपनजस्त्रीणांपादरेणूपलब्धये ॥४८॥तथापिनमयाप्राप्तास्तासांवपादरेणवः ॥श्रुत्वैतद्ब्रह्मणोवाक्यंभृगुःपाहाथसादर।।४९:वैष्णवानांपादरजोगृह्यतेत्वद्विधैरपि ॥संतितेबहवोलोकेवैष्णवानारदादयः // 50 // तेषांविहायगोपीनांपादरेणस्त्वयापियत् // गृह्यतेसंशयोमेऽत्रकोहेतुस्तद्वदप्रभो // 51 // ततोब्रह्माभृगपाहाँचता यित्वापरातनी / / कथांसर्वश्रुतीनांचरहस्यं परमाद्भुतं // 52 // श्रीब्रह्मोवाच // ॥नस्त्रियोव्रजसुंदर्यःपुत्रताःतयःकि ल // नाहंशिवश्वशेषश्चश्रीश्वताभिःसमाःक्वचित् // ५३॥पाकतेप्रलयेप्राप्नेव्यक्तेऽव्यक्तंगतेपुरा ॥शिष्टेब्रह्मणिचिन्मात्रेका ! 1 अत्रपूर्वमुक्तं 2 रसोवैसइतिब्रह्मवल्लीश्रुतेः 3 पुराणस्थंकिंचिदाख्यानं 4 थे 5 ब्रह्मायुःसमामिरूपे 6 आविर्भूतेजगति * अक्षर 8 प्रविष्टे L

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