Book Title: Vedant Chintamani
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________________ बे.चि भयंद्वितीयाभिनिवेशतःस्यादीशादपेतस्यविपर्ययोऽस्मृतिः // तन्माययातोबुघआभजेत्तंभक्त्यैकयेशंगुरुदेवतात्मा // // 121 // परशरमाधवीयप्रथमाध्यायेपुराणसारे // गुरावतुष्टेतुष्टाःस्युःसर्वेदेवाद्विजोत्तमाः॥ तुष्टेतुष्टायतस्तस्मात्सर्वदेवा / मयोगुरुः // 122 // श्रेयोर्थीयदिगुर्वाज्ञांमनसापिनलंघयेत्।। गुर्वाज्ञापालकोयस्माज्ज्ञानसंपत्तिमश्नुते।।१२३॥आदित्यपु / राणेपायेरुष्टहरस्त्राताहरेरुष्टेहरिस्तथा ॥हरौरुष्टेगुरुस्वातागुरौरुष्टेनकश्चन।। १२४॥इत्यवश्यंब्रजेच्छास्त्रविज्ञवैष्णवसद्गुरुंग निर्णतव्यमयाऽन्यत्रेदकिंचिदिहदर्श्यते // 125 // गौतमीयतंत्रे ॥अवैष्णवोपदिष्टेनमंत्रणनिरयंव्रजेत् ॥पुनश्वविधिनासम्या / / ग्राहयेद्वैष्णवाद्गुरोः // 126 // महाकुलेप्रसूतोऽपिसर्वशास्त्रेषुदीक्षितः // सहस्रशाखाध्यायीचनगुरुःस्यादवैष्णवः / / // 127 ॥षट्शास्त्रज्ञोभवेद्विप्रोवेदवेदांतपारगः // अवैष्णवोगुरुर्नस्याद्वैष्णवःश्वपचोगुरुः // 128 // इत्यादिवचनैस्ता गुरुसंगम्यतेउभे / कुर्वीतकृष्णमंत्राभ्यांनान्यथातेभविष्यतः / / 129 // पुनर्गौतमीयतंत्रेप्रथमाध्याये // गाणपत्ये / / पुशैवेषुतथाशाक्तेषुसुव्रत // सर्वेषुमंत्रवर्गेषुवैष्णवंश्रेष्ठमुच्यते // वैष्णवेषुचमंत्रेषुकृष्णमंत्रा:फलाधिकाः // 130 // अन्य। वापि // कृष्णमंत्रविहीनस्यपापिष्ठस्यदुरात्मनः / श्वानविष्ठासमंचानंजलंचमदिरासमं // 131 // इति // अष्टोत्तरेणश भारणपंचाक्ष-संपूवर्या गच्छेत्समर्पयेत्सर्वश्रुतिस्मृत्युद्धृताविमौ // 132 // उद्धाराद्यनयोश्चक्रेगोस्वामिपुरुषोत्तमैः।उपदे| 1 सर्वशक्तेब्रह्मणःसकाशादुगतस्याध्यासचतुष्करूपीविपर्ययःस्वरूपा स्मरणंचतन्माययाभवति 2 ससिद्धांतमार्तडादियथेषु 3 वैष्णवत्रा Mellह्मणादेवशरणादिमंत्रागाह्माइत्येवंतात्पर्यकोर्थवादायं 4 भगवतःशरणगमनमात्मनिवेदनंच 5 गद्यसहितया 6 मंत्री

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