Book Title: Vedant Chintamani
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Page 87
________________ - शादिविषयशंकानिरसनेस्फुटम् // 133 // अधिक्रियेतसेवायांसद्गुरोःकृष्णमंत्रतः॥ वैष्णवःसन्यथाश्रौतेगायच्यध्ययने द्विजः // 134 // एकादशे // एवंधर्मेमनुष्याणामुद्धवात्मनिवेदिनाम् / / मयिसंजायतेभक्तिःकोऽन्योऽर्थोऽस्यावशिष्यते / Hu 135 // गीतायां // महिपार्थव्यपाश्रित्ययेऽपिस्युःपापयोनयः // स्त्रियोवैश्यास्तथाशूद्रास्तेऽपियांतिपरांगति // 136 // किपुनर्ब्राह्मणा:पुण्याभक्ताराजर्षयोऽमलाः // अनित्यमसुखंलोकमिमंप्राप्याजस्वमां // 137 // तत्रैव // अपिचेत्सुदुराचारोभजतेमामनन्यभाक् / / साधुरेवसमंतव्यःसम्यग्व्यवसितोहिसः // 138 // क्षिप्रभवतिधर्मात्माशश्व च्छांतिनिगच्छति // कौंतेयप्रतिजानीहिनमेभक्तःप्रणश्यति // 139 // इतिसर्वेपिभगवत्सेवायामधिकारिणः // ततोग ज्ञयादेवंशुद्धःसेवेतशक्तितः॥ 140 // कालनिर्णयदीपिकायांनारदीये // प्रातमध्यंदिनेसायंविष्णुपूजांसमाचरेत् // यथासंध्यातथानित्याविष्णुपूजास्मृताबुधैरिति // 141 // मंत्रैःसद्गुरुणासम्यमूर्तावाविष्कृतहरि // भजेत्प्रेम्णासदात तदुपचारैर्महोत्सवैः॥ 142 // कालनिर्णयदीपिकायांप्रातःकाले / पूजनप्रतिमायांतुउत्तमंपरिकीर्तितम् // इतिविष्णु धर्मोत्तरात् // (स्कं. 11) // मल्लिगमद्भक्तजनदर्शनस्पर्शनार्चनैः / इतिप्रक्रम्यहरिणानिरणायीहंसेवना // 143 // - 1 यथाजन्मनाशूमायोपिगायत्रीग्रहणेन द्विजःसन्वेदाध्ययनादावधिक्रियते 2 कृतात्मनिवेदनानामेवश्रवणकीर्तनादिधर्भक्तिरुद्भवति 3, व्यपाश्रयःशरणागतिः 4 चातुर्वणिकाः 5 प्रतिमाशालग्रामगोमतीचक्रादीनि 6 मतिमादौ

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