Book Title: Vedant Chintamani
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________________ धाम्यात्माऽभिन्नेऽचित्यधर्मवान् // सर्वात्मकःसर्वलीलोनित्यभक्तनिजात्मभिः // 81 // अखंडःपूर्णएवासौरमतेससमंस दा || भक्त्येकलभ्योभगवान्नान्यथादृश्यतेपरः // 82 // इत्यवश्यंसेवनीयःपरमानंदसिद्धये // स्वाभाविकरूपाशक्ति जीवःसेवार्थनिर्मितैः // 83 // यत्तेनोद्रमितदिवाःसेवनायैवचेतनाः // दास भूतोहरेरेवेतिपादोजीवलक्षणं // 84 // जी वाःस्वांशायतःसृष्टामोक्षेऽप्यक्षररूपिणः // अतोपिभजनंयुक्तंयोयदंशःसतंभजेत् // 85 // शक्तिगणैरममाणंतनुवित्तज जनजातपरक्या / / सेवध्वंसंसारंभित्त्वाब्रह्मक्यभावनाभूयः॥ 86 // ॥इतिवेदांतचितामणीप्रकृतिपुरुषदि ग्दर्शनपूर्वकागवद्धामोदाहरणनामचतुदृशंप्रकरणं // 14 // // // // // // // सर्वात्मार्पणतःसेवारसैमक्त्यधिकैःकतः / स्वाचाय:सुलभोयःसश्रीकृष्णःशरणंमम ॥१ननतोगोपिकानित्यानित्यंकी। डादिकंयदि // शुद्धद्वैतमिदंजातंशुद्धाद्वतंकुतःपुनः // 2 // नाशंकनीयमित्येवंशक्तिशक्तिमतोहतः // सूत्रेषुश्रुतितोभेदः / ALKबोधिन्यांन्यरूपयन् // 3 // अधिदेविकशक्तित्वंतासांकृण्णमखाग्नयः॥ वासुदेवोपनिषदिश्रयतेशक्तिरूपता // 4 // Nगोप्योनामविष्णुपत्न्यस्तासांचंदनमाल्हादनं कश्वाल्हादएषब्रह्मानंदरूपः काश्चविष्ापल्योगोप्योनामजगत्सृष्टिस्थि / 1 वाक्यमिदं 2 बृहामनायुक्ताः 3 निरस्तः 4 वेणुगीतादिव्याख्याने पादोयमुत्तरत्रान्वयी 5 आथर्वणीयेयमुपनिषत् गोपीचंदनोपनिषदि यपिकथ्यते ॐनमस्कृत्यभगवंतनारदःसर्वेश्वरवासुदेवंपप्रच्छेत्यादि ॥इयंशंकराचार्याद्यनुसारिभिर्बहुभियाख्याता भागवततत्वभास्करादिषुसर्व साधारणग्रंथदादृताच 472

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