Book Title: Vedant Chintamani
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Page 76
________________ 36 वे.चि. नचमात्सर्यनलोभोनाशुभामतिः // अवंतिकृतपुण्यानांभक्तानांपुरुषोत्तमे।।२५॥पुरुषोत्तममापन्नोनपुनदुःखमानुयात्। प्राप्योभत्यैवसतथागीताभागवतादिषु // 26 // नाहंवेदनतपसानदानेननचेज्यया // शक्यएवं विधोद्रष्टदृष्टवानसिमां यथा // 27 // अक्त्यात्वनन्ययाशक्यअहमेवंविधोर्जुन // ज्ञातुंद्रष्टुंचतत्त्वेनप्रवेष्टंचरंतप // 28 // भक्त्याहमेकयायालो भक्त्यालभ्यस्त्वनन्यया // भक्त्यैवतुष्टिमभ्येतिविष्णुर्नान्येनकेनचित् // 29 // नदानंनतपोनेज्यानशौचनव्रतानिच ॥प्री। यतेऽमलयाभक्त्याहरिरन्यद्विडंबनम् // 30 // अत्यातुतोषभगवान्गजयथपाय // इत्यादौनक्तिरेवास्यपुरुषार्थ रोमतः / सम्यक्त्वसिद्धयेज्ञानंसाधनंभक्तिसूत्रतः // 31 // तत्सोमख्यतरापेक्षितत्वादित्थमपक्रमात् // ब्रह्मका तस्यानुज्ञानायसामान्यादित्यंत भक्तादिशेषित्वंवक्तिसंपूर्णमान्हिकं // 32 // पदार्थएवनज्ञातोयःसेव्यःसकथंभवेत्॥ अत्यऽसंपादकंज्ञानं केवलंतुविनिदितम् // 33 // ( स्कंध 10) ब्रह्मस्तुतौ॥श्रेयःमुर्ति भक्तिमुदस्यतेविझोक्लिश्यंतियेकवल *बोधलब्धये // तेषामसौक्लेशलएवशिष्यतेनान्यद्यथास्थूलतुषावघातिनाम् // 34 // प्रथमस्कंधेनारदः।निष्कर्म्यमप्यच्यु तभाववर्जितंनशोभतेज्ञानमलंनिरंजन।कुतःपुनःशश्वदभद्रमीश्वरेनचापितंकर्मयदप्यकारणं॥३५॥गीतायांतपस्विभ्योऽ धिकोयोगीज्ञानिभ्योऽपिमतोऽधिकः॥ कर्मिभ्यश्चाधिकायागीतस्माद्योगीभवार्जुन // 36 // योगिनामपिसर्वेषांमदते भक्तेर्दाढदिसिद्धये 2 (अ०१०१०) सामुख्येतिभक्तिरेवमुख्या इतरैज्ञानादिभिःखांगितयातस्याएवापेक्षितत्वात् 3 ज्ञानकांडतुभक्तौ भगवत्स्वरूपानुज्ञापकतयोपयुज्यते यागेइतिकर्तव्यतायनुज्ञापकतयापूर्वकांदमिव 4 भक्तिमीमांसाप्रथमाध्यायस्यद्वितीयमान्हिक 3

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