Book Title: Vedant Chintamani
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Page 81
________________ चोऽप्यक्षरात्मकः॥ सर्वोपिशक्यतद्रष्टमबाध्यज्ञानचक्षुषा / / 75 // सर्वब्रह्मात्मकंपश्यन्सर्वत्राइविहताहरेः॥लीलावि लोकयंस्तास्तानकिचिदपिकांक्षति // 76 // (स्कं. 1 अ. 7) आत्मारामाश्चमनयोनिर्यथाअप्युरुक्रमे। हैतुकीजक्तिमित्थंभूतगुणोहरिः॥ 77 // तत्तल्लीलापरंपश्यन्सर्वत्रपुरुषोत्तमम् // शब्दांस्तवाचकान्शृण्वन्सदाचरतिनिः / स्पृहः / / 78 // कृष्णप्रेमामृतास्वादादारभ्यैहिकवैभवम् // तृणप्रायाणिगणयन्मोक्षांतानिसुखान्यपि // 79 // विकलो यंदांभिकोयमहात्मायंहरेर्जनः // इतिनानाजनोक्तिभ्योनशोचतिनदृष्यति // 8 // सख्यास्वस्वामिनास्वातिप्रियेण हरिणासदा / / भगवतासहसंलापइत्यायुक्तदशांगतः // 81 // एकादशस्कंधेनवयोगीश्वरप्रसंगे।क्वचिद्रुदन्त्यच्युतचित | याक्वचिद्धसंतिनंद तिवदंत्यलौकिकाः // नृत्यंतिगायत्यनुशीलयंत्यजभवंतितूष्णीपरमेत्यनिर्दताः // 82 / / शृण्वन् सुभद्रा / मणिरथांगपाणेर्जन्मानिकर्माणिचयानिलोके // गीतानिनामानितदर्थकानिगायन्विलजोविचरेदसंगः // 83 // एवंव्रतः / स्वप्रियनामकीर्त्याजातानागोद्रुतचित्तउच्चैः / / हसत्यथोरोदितिरौतिगायत्युन्मादवन्नृत्यतिलोकबासः // 84 // खंवा युमानिस लिलंमहींचज्योतीषिसत्वानि दिशोगुमादीन् // सरित्समुद्रांश्चहरेःशरीरंयत्किचभूतंप्रणमेदनेन्यः // 85 // गृही / विधातशून्याः 2 प्रथमस्कंधेसूनोक्तिरियं 3 अविद्याग्रंथिरहिताः 4 विरुद्धांशपरिहारेणशब्दमात्रतत्तल्लीलाविशिष्ट भगवदभिधायकमवग मच्छन् 5 हेतोः 6 ऐहिकवैभवंमानुपानंदमारभ्य . शुष्कज्ञानिमोक्षपर्यनानि 8 वेणुगीतसुबोधिनीस्थोयगाथाछंदश्चरणः 9 भगवद्यति रिक्तभानशूभ्यः / * पाय

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