Book Title: Vedant Chintamani
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Page 77
________________ नांतरात्मना // श्रद्धावान्जजतेयोमांसमेयुक्ततमोमतः / / 37 // (अ 0 1 0 23 / 24 ) तदेवकर्मिज्ञानियोगि। भ्यआधिक्यशब्दात् // प्रश्ननिरुपणाभ्यामाधिक्य सिद्धेः॥ इतिस्मृत्त्यनसारेणशांडिल्यमनिनोदितं // माहात्म्यबोधके / ज्ञानेभक्तिसाधनतोचिता॥३८॥माहात्म्यज्ञानपूर्वस्तुसुदृढःसर्वतोऽधिकः // लेहोभक्तिरितिप्रोक्तस्तयामुक्तिर्नचान्यथा / // 39 // नारदीयेपंचरात्रतेस्यालक्षणमीरितं / / ( अ० 1 सू०२) सांपरानुरक्तिरीश्वरे // इत्युक्तंभक्तिसूत्रेषु दागवतेतथा // 10 // (स्कंध. 2) देवानांगणलिंगानामानश्रविककर्मणां // सत्त्वएवैकमनसोरत्तिःस्वाभाविकी या // 41 // अनिमित्ताभागवतीभक्तिस्सिद्धेगरीयसी // इतिनिष्कामनःस्नेहोभक्तिराथर्वणेतथा / / 42 / / भक्तिरस्य जनंतदिहामुत्रोपाधिनैराश्येनमनःकल्पनमिति // चतुर्विधाभजतेमांचतुर्धे त्यधिकारिषु // नसंमतोर्थार्थ्यार्त्तश्चज्ञानी जिसासुरुत्तमः // 43 // अत्यासंजातयात्येत्येकाशक्तिस्तसाधनं // फलामिकापराभक्तिर्मानसीप्रेमलक्षणा॥४४॥ जाननुजावित्तजासेवातस्याःसाधनमच्यते // सर्वद्रियैःशुद्धभावात्तत्परःसेवनाऽदिमा॥ 15 // तदिच्छाप्नस्वसर्वस्वोत्थैस्से | / भक्तयोगायपेक्षयामुख्यत्वं 2 शब्दस्तूक्तगीतावास्यरूपः 3 अर्जुनभगवत्कर्तृकाभ्यां 1 भक्तिमीमांसामथमाभ्यायउक्तं 5 मुख्य भक्तेः 6 पुरुषोत्तमेयापरानुरक्तिःसापराभक्तिरितिखमेश्वरादयोव्याख्यातारः . गीतायां चतुर्विधाभजतेमांजनाःसुकृतिनोर्जुन // आतो जिज्ञासुरार्थीज्ञानीचभरतर्षभेत्यादि 8 उत्तमतयानाभिप्रेतः सकामत्वात् 9 भागवते स्कंध भ. 3 श्लो. 3) भक्त्यासंजातयामत्या विभ्रत्युत्पुलकांतनुमिति "मानस्याः "भागवतादिषु 12 तनुजा 13 भगवदिच्छयालन्धैः

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