Book Title: Vedant Chintamani
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Page 62
________________ तृतीयस्कंधएकादशाध्यायइतिकारणं / / तदेवजगतोधामास्यचोक्तहरिणातथा // 36 // अव्यक्तादीनि भूतानिव्यक्तमासीत्र ध्यानिभारत / / अव्यक्त निधनान्येवतत्रकापरिदेवना॥ 37 // अव्यक्ताद्यक्तयःसर्वाःप्रजवंत्यहरागमे // रात्र्यागमेप्रलीया तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके // 38 // तस्माद्विश्वक्षरमिदमाविनावितमक्षरात् // क्षरणंतुतिरोभावःक्षरत्यतततःक्षरं // 39 // न / धाम्नोस्तितिरोभावःकदाचिदितिसोऽक्षरः॥ एतावतीतःपुरुषोत्तमोगीतासुरूपितः // 40 // द्वाविमापुरुषोलोकेक्षरश्वाक्ष रएवच // क्षरःसर्वाणिभतानिकटस्थोऽक्षरउच्यते // 11 // उत्तमःपुरुषस्त्वंन्यःपरमात्मेत्युदाहृतः // योलोकत्रयमावि श्यबिभर्त्यव्ययईश्वरः // 42 // यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपिचोत्तमः // अतोऽस्मिलोकवेदेचप्रंथितःपुरुषोत्तमः॥४३॥ क्षरौत्पुरुषोताभ्यामेषयदुत्तमः // लोकेंवेदकमात्तस्मात्पुरुषोत्तमउच्यते।। 44 ॥(अ. 4 श्लो. 18) नतस्यका लावयवैःपरिणामादयोगुणाः // अनाद्यनंतमध्यक्तं नित्यकारणमव्ययं // 45 // नयत्रवाचोनमनोनसत्त्वंतमोरजोवामा हदादयोऽमी // नपाणबुद्धीद्रियदेवतावानसन्निवेशःखललोककल्पः // 46 // नवमजायन्नचतत्सुषुमनखंजलंभूरनिलो निरर्कः / / संसुप्तवच्छन्यवदप्रतय॑तन्मलभतंपदमामनंति // 47 // इतिभागवतेस्कन्धेद्वादशेवर्ण्यतेऽक्षरम् // तदेवपरम धामगीतासुबहुरूपितम् // 48 // यदक्षरंवदविदोवदन्तिविशंतियद्यतयोवीतरागाः // यदिच्छन्तोब्रह्मचर्यचरन्तितत्तेपद कारणामन्यनेनान्वेति 2 परस्य 3 अव्यक्ताक्षरइत्युक्तइतिवाक्यादक्षरः 4 लये 5 क्षरणवत्वाद्धेतोः 6 ऐच्छिकभेदवान् . क्षराती|| तत्वेनलोकपातंजलादिदर्शनेप्रथितः अक्षरवदुत्तमत्वेनतुवेदे

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