Book Title: Vedant Chintamani
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________________ तितैः // 4 // मायायांतेविलीयतेकार्यत्वात्प्रलयेगुणाः / / शांताविरतकार्यत्वात्सुप्तवतंत्रतिष्ठति // 5 // सर्गमिच्छति // चेदेवःपुरुषंकुरुतेऽक्षरात् / / चिद्रूपंतीचिद्रूपांजडांचप्रकतिपुनः / / 6 / / ( स्कं० 11 अ० 24 श्लो• 2 ) आसीना नमेथोलएकमेवाविकल्पितं // यदाविवेकनिपुणाआदौलतयुगेयुगे // 7 // तन्मायाफलरूपेणकेवलंनिर्विकल्पितावा || मनोगौचरातीतंद्विधासमभवत्वृहत् // 8 // तयोरेकतरोयर्थःप्रकृतिःसोभयांत्मिका // ज्ञानंत्वन्यतमोभावःपुरुषःसोशि धीयते // 9 // इतिभागवतेपाहतेदवागवान्स्वयं // तिरोहितचिदानंदासदंशात्प्रकतिर्जडा // 10 // सत्वरजस्तमइतिष ते त्मनोगुणाः / प्ररुतिगुणसाम्यस्यादितिभागवतोक्तितः॥ 11 // समग्राणांसमानानांत्रिगुणानामबाधतः // ऐक्य / तच्छक्तिमायात्माजडाप्रतिरुच्यते // 12 // प्रकृतिलस्योपादानमाधारःपुरुषःपरः // संतोभिव्यंजकःकालोब्रह्मतबित यंत्वहं // 13 // तेहाराविष्कृतंअतादिकंतत्सगणंमतं // ततोमहदहंतस्मादितिसांख्येक्रमःस्मृतः॥ १४॥प्रत्यानिर्मित FI गुणैः 2 ब्रह्मणि 3 माया 4 द्रष्टा 5 अयोशब्दःकाय सर्वोप्योंद्रष्ट्रदिनीयब्रह्मलीनसदभिन्नएवासीत् 6 कदैवमितिचेत्तत्रकालत्रय माह यदेति अयुगे युगाभाववतिसृष्टिपाकाले तथासृष्ट्यारंभकतयुगे इदानीमपिब्रह्माभेदविवेकेसतिच 7 उभय विषयानतीतं गोचरंसत्यमितिपारे। तुतगोचरंयथाभवतितथा 8 अक्षरं 9 सदंशरूपः . कार्यकारणरूपा " चिद्रूपः 12 भागवतस्थंभागवतवचनमेतत् 13 ब्रह्मरूपतयानित्य // स्थिवजगतआविर्भावहेतुःसृष्टिकाल: 14 वस्तुतःप्रकृतिपुरुषकालानामपिब्रह्मांशत्वात्सर्वभगवानेव 15 प्रतिद्वारा 16 आकाशादि 17 प्रतितो का महत्तच्वंततस्विवियोहंकारः 18 नतुश्रुतिसंमतः (अ.२ पा० 1 सू०२) इतरेषां चानुपलब्धेरित्यादौतन्निषेधात्

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