Book Title: Vedant Chintamani
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________________ MAH. वैचि. श्रुतिकोपनात् // इहसत्तत्त्वमस्यादौतच्चब्रह्मैवंगीयते // 47 // ओतत्सदितिनिर्देशोब्रह्मणस्त्रिविधःस्मृतः // अहमेवासमेवानी यिनान्यद्यत्सदसत्परं / / 48 // पश्चादहंयदेतञ्चयोवशिष्येतसोस्म्यहं।। श्रूयतेसोऽनुवीक्ष्यान्यन्नात्मनोऽपश्यदित्यपि॥४९॥ सतीस्वान्येचिदचितीदृष्टेनान्वीक्षयापिचेत् // सर्वज्ञत्वंव्यापकत्वमीशत्वंतस्याज्यते // 50 // द्वितीयेच्छारत्यभावमलिक काकिनाश्ता / एकांकित्वंरत्यभावोद्वितीयेच्छाचंबाधिताः॥ 51 // नन्वेकएवाहमासमित्यादौदेहजीवयोः॥ द्वयोः / सत्वेप्येकपदंतदभेदाश्रयाद्यथा // 52 // तथाद्विदेहयगब्रह्माऽत्रात्मशब्दनगृह्यते / तथैकोहंस्थलेडतोन्यन्नासीविचित्त दितिचेत् // 53 // मैवंजीवस्यदेहेऽहंप्रत्ययोऽध्यासजोमृषा // अविद्ययेशेच्छयास्तीत्येकत्वंप्रयनक्तिसः // 54 // नत / थाब्रह्मणोमिथ्याऽध्यासोऽज्ञानैकहेतुकः // स्थिराइवध्यसंख्येयकल्याणगुणशालिनः॥ 55 // सर्वज्ञस्याडविलिप्तस्य स्वतंत्रस्यनियामिनः॥ स्वाधीनाऽविद्यादिशक्तनित्यमुक्तस्ययुज्यते // 56 // अथात्मैवेदमित्यादौसर्वस्याप्यात्मरूपता॥ पाकुसर्गाच्छूयतेनान्यचिदचिद्रूपताक्वचित् // 57 // विरुद्धाब्रह्मभिन्नत्वाद्वस्तुतोजडजीवयोः // आत्मशब्दस्यचिदचि 1 सदेवसोम्येतिवाक्ये 2 गीतायांप्रतिपाद्यते 3 गीतावाक्यमिदं 4 आथिकानुवादाभिप्रायात्पदविपर्यासःछंदोनुरोधात् श्रुतौतुनान्यदात्मन इतिपाठात् 5 विद्यमाने 6 स्वप्रतियोगिकतात्विकभेदवती 7 सवैनैवरेमेतस्मादेकाकीनरमतेसद्वितीयमच्छत् सहैतावानासेति बृहदारण्यके 8 चिद चित्सत्वादकाकिन्वस्य ताभ्यांसहवरतिसंभवात्तदभावस्यततएव द्वितीयेच्छायाश्च बाधः 9 चकारान्सर्वरूपणभवनमपिबाधितं 10 लौकिकमयोगेश 1 सोनुवीक्ष्यनान्यदात्मनइत्यादौ 12 अविद्याकरणकबंधे यहेतु: 13 जीवः 14 मन्येकमियत्तारहितः 15 जडजीवयोर्ब्रह्मात्मकता

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