Book Title: Vedant Chintamani
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________________ वे. चिमकण्णइत्यभिधीयते // 14 // शिवादिरूपैःसगुणैःकामान्पूरयतिप्रभुः // स्वयंतुनिगुणोदेवोभक्तानांनिर्गुणत्वकत्॥१५॥ (स्कंध १०)उत्तरार्द्ध।यस्यांघिपङ्कजरजोऽखिललोकपालैौल्युत्तमैघृतमुपासिततीर्थतीर्थम् // ब्रह्माभवोऽहमपियस्यक लाःकलायाःश्रीश्चोद्वहेनचिरमस्यनृपासनक्क १६॥(स्कंध १०)पूर्वार्द्धात्वामेवान्येशिवोक्तेनमार्गेणशिवरूपिणं|श्रीमद्भागा / वितेऽस्येतिभगवद्रूपतामता // 17 // येऽप्यन्यदेवताभक्ताइतिगीतासुचोदितम् / / पादमेकातिकमाहात्स्येप्रथमाध्यायई> d ति // 18 // (श्लो. 26 / 27) सौराःशैवाश्चगाणेशावैष्णवाःशक्तिपूजकाः॥मामेवप्रामवंतीहवर्षाम्नःसागरंयथा / / IF // 19 // एकोहपंचधाजातःक्रीडयानामभिःकिल|| देवदत्तोयथाकश्चित्पत्राद्याव्हाननामभिः // 20 // इत्थंभगवताप्रो / ताशिवादीनांनिजांशता // शिवादिरूपंशैवाद्याभजंतःप्रामुवंतितं // 21 // विष्णुःसत्वगुणोपाधिस्तद्भक्ताईहवैष्णवाः // शंभोरुपासनंचर्कआसुरान्मोहयक्वचित् // 22 // उत्तरोत्तरसर्गार्थतत्पादोस्पष्टमच्यते // विष्णोनीमसहस्रेतुशिवेनगि में रिजांप्रति // 23 // प्रोच्यतपंचरात्रेचयत्वस्मैहरिणोदितं // त्वामाराध्यतथाशंभोयहीष्यामिवरंसदा // 24 // स्वांगमैः / कल्पितैस्त्वंचजनान्मद्विमुखानकरु // मांचगोपययेनस्यात्सृष्टिरेषोत्तरोत्तरा // 25 // खंडितःपंडितकरभि दिपालेप्रहा। 1 भगवंत 2 सौराःशैवाइतिपायवाक्येपंचायतनोपासकनिरूपणेनसाहचर्यात्सगुणोपासकाएववैष्णवाबोध्यानतुपुरुषोत्तमोपासकाः 3 ननु / रामाद्यवतारेषुभगवताशिवभक्तिकरणानसेव्यसेवकभावविपर्ययएवकुतोनेत्याशंक्याह शंभोरिति 4 भगवान्कृतवान् 5 पायेशिवेनपार्वतीमति विष्णुनामसहस्रमुक्तंतदेवाक्षरशोनारदपंचरात्रेप्युपलभ्यते तत्रोभयत्रेदभगवदनुवादरूपंशिववचनमस्ति 6 शैवादिशास्त्रः -- -- - -

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