Book Title: Vedant Chintamani
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Page 45
________________ द्वाद्वय यजयकंदययाभयदृद्भवप्रभवभाजाम् // कारणमाहयमेकर्तेमनुत्सेकंजस्वसविवेकम् // 61 // // इतिश्री / वेदांतचिंतामणौशक्तिधर्माभेदनिरूपणपूर्वकद्वैतमतनिराकरणंनामदशमंप्रकरणं // 10 // // // 7 // यपश्चिदचित्सर्गःस्पृष्टःसृष्टौनतेनयः॥ सर्वत्रसन्नविज्ञातोऽस्मैनमोऽनुप्रवेशिने // 1 // यःसर्वत्रैवसंतिष्ठन्नंतरःसंस्पृशे नतत् / / शरीरंतन्नवेदेत्थंयोऽनुविश्यप्रकाशते // 2 // इत्याहुःश्रीमदाचार्याःशास्त्रार्थेब्रह्मरूपणे // संगृह्मकथ्यतेऽत्रार्थोयः पृथिव्यामितिश्रुतेः // 3 // ब्रहदारण्यकेऽध्यायेपंचमेतच्चसप्तमे॥ब्राह्मणेपठ्यतेवाक्यमंतर्यामिनिरूपके॥४॥(पृ०६१६) यःपृथिव्यांतिष्ठन्पृथिव्याअंतरोयंपृथिवीनवेदयस्यपृथिवीशरीरंयःपृथिवीमंतरोयमयत्येषतआत्मांतर्याम्यमृतइत्यादि // रामानुजावदंतीहविशिष्टाद्वैतवादतः॥ श्रुतावस्यांपृथिव्यादिसप्तम्याऽऽधाररूपणात्॥ ५॥अंतस्छस्योच्यते दोयथाऽऽस्ते भूतलेघटः // इतिवाक्यभूमितलाइटभेदःप्रतीयते // 6 // अतःपृथ्थ्यादिकंव्याप्यंभिन्नमेवाखिलंपरान् // ब्रह्मणोहिशरी / रद्वेनित्येचिदचितीमते // 7 // सूक्ष्मकारणरूपेतेयाभ्यांस्थूलमभूजगत् // चिच्छरीरात्तचित्कार्यमचिच्चाचिच्छरीरतः। विभागानहतानामरुपयोःसूक्ष्मतामता॥ नामरुपव्याकरणंतस्यैवस्थौल्यमुच्यते॥ 9 // ब्रह्मैवंसूक्ष्मचिदचिद्विशिष्टंका रणभंतेः। कार्यचस्थलचिदचिद्विशिष्टमितिनिर्णयः॥१०॥ विशिष्टौद्वतमनयोरद्वैतंतद्विशिष्टयोः।विशेषणेचिदचिती 1 सिद्धांतः 2 अर्थातश्रीमदाचार्याःश्मातांतरेषुजगत्कारणतयोक्तानामविद्यातदुगमरूतिचिदचिच्छरीरप्रकृतीनांच्यातनायकमितिश्पुरुषोत्तम 5 जडजीवसर्गः 6 प्रपंचसत्ताकाले 7 जडजीवाभ्यांबुद्धः 8 निबंधश्लोकोऽयं शास्त्रार्थमकरणे परमात्मनः ११षष्ठ्यंतमिदं शरीरद्वयस्य 13 उक्तवाक्यात् तच्चवैशिष्ट्येप्रमाणं

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