Book Title: Vedant Chintamani
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Page 44
________________ - -- वे-चिं. ह्मतयाथवा // आयेनैयायिकेवेशोद्वितीयेशांकरतथा // 49 // परानिराकताव्याप्तिद्विधोपाधिकताणता॥ नित्य स्वाभाविकश्वर्यज्ञानादेयंदिराधकः // 50 // घटेतोपाधिरवान्योनाबाधाखिलधामणः // अद्वयस्यस्वतंत्रस्यदूरे तन्मलिकाभिदा // 51 // ( स्कंध 10) व्रजस्तिष्ठन्पंदेकनयथैवैकेनगच्छति // यथातृणजलौकैवंदेहीकर्मगति गतः // 52 // इत्यादिनावक्तिनानातस्यभागवतंगतीः // अन्यानिसंयातिनवानिदेहीत्यादिकास्मृतिः॥ 53 // पूर्व त्यागोगतिर्देहान्तरेव्याप्तस्यनोचिता / / इदंलिंगस्यचे याद्देहःकर्मगतिगतः // 54 // अत्रैदेहीतिसंघातदेहवान्भिन्नउच्या ते // त्याज्यप्राप्यत्वकथनास्थूलदेहस्यनेहसः॥ 55 // इत्यादिश्रुत्यादिमलैर्मतान्येतानिदूषणैः // प्राचामाचारतो चामर्वाचामपिसुस्फुटैः॥ 56 // समनद्यपृथङमाध्वकिरणादिषुविस्तरात् // निरस्तानिमयाशुद्धाद्वैतचंद्रोदयादिषु // 5 अभेदोवास्तवोब्रह्मजगतोरैच्छिकीजिदा // जीवाःस्वांशाःप्रवेशादिसिद्धांतःश्रुतिसंमतः // 58 // निबंधे।सजातीयविजा | तीयस्वगतद्वैतवाजतं // ब्रह्मोक्तंश्रीमदाचार्यद्वैतगंधोपिनास्तिनः // 59 // तत्रजीवाःसजातीयाविजातीयाजडामताः॥ स्वगताअंतरात्मानोभिन्नाघटशराववत् // 6. // अभिन्ना ह्मणोमृत्त्वाइटादेरभिदायथा // सजातीयादिभेदानांवर रूपंचयथोदितम्॥ 51 // टॅक्षस्यस्वगतोभेदःपत्रपुष्पफलादिषु।।रक्षांतरात्सजातीयोविजातीयःशिलादितः // 62 // शु। / 1 प्रवेशः 2 जीवत्वेनब्रह्मत्वेनच 3 त_तिशेषः 4 शुकः 5 वाक्ये 6 जलेसैधवखिल्यवत्जीवानांब्रह्मणिप्रवेशः वन्हेविस्फुलिंगवत्ततोनिर्ग मइति 0 विद्यारण्यादिभिः कथितं 8 विद्यारण्यकारिकयं

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