Book Title: Vedant Chintamani
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Page 46
________________ केचि ब्रह्मणःकारणात्मके // 11 // सूक्ष्मेस्थूलेतुतेकार्यात्मकेकार्यविशेषणे // जीवस्तुस्थूलचित्स्थूलमचित्पृथ्व्यादिकंमतं // 011 // 12 // अंतःस्थितोनियंतेहाऽनुप्रविष्टोविभागकंत् / उक्तश्रुतौपृथिव्यादर्जडस्यांतःस्थितःश्रुतः॥१३॥जीवस्यापितथा। काण्वैोविज्ञानइतीरणात् / / यआत्मनीतितत्पाठभेदान्माध्यंदिनेश्रुतम् // १४॥शरीरत्वंचतत्रैवश्रुतंतस्यैतयोर्द्वयोः॥जीवो जडोंतरात्मेतिभोक्तभोग्यनियामकाः // 15 // कमात्रयःपदार्थास्तर्मतास्तत्कारिकायथा // ईश्वरश्चिदचिच्चेतिपदार्थ / त्रितयंहरिः।।ईश्वरश्चितइत्युक्तोजीवोदृश्यमचित्पुनः॥१६॥द्रव्याद्रव्यप्रदायितमजयविधंतद्विधंतत्त्वमाहुव्यद्वेधाविभ तंजडमजडमितिप्राच्यमव्यक्तकालौ // अंत्यप्रत्यकूपराकूचप्रथममुभयथातत्रजीवेशभेदान्नित्याभूतिर्मतिश्चेत्यपरमि हजडामादिमांकेचिदाहुः // 17 // तत्र // द्रव्यंनानादशावत्प्रकृतिरिहगुणैःसत्त्वपर्वैरुपेताकालोब्दाद्याकतिःस्यादणुरवगा। तिमाञ्जीवईशोन्यआत्मा // संप्रोक्तानित्यभूतिस्त्रिगुणसमधिकासत्त्वयुक्ताथवज्ञायावज्ञासामतिरितिकथितंसंग्रहा व्यलक्ष्म / / 18 // इत्थंवेंकटनाथायाविस्तराच्छतियुक्तिभिः॥ तत्स्रग्धरासहस्रादौपदार्थव्याजंतते // १९॥लयेक्रम, | 1 चिदचितोः 2 रूपनामव्याकर्ता 3 अंतस्थितः 4 योविज्ञानेतिष्ठनविज्ञानाईतरइत्यादिकाण्वानांबृहदारण्यकेपार: 5 यात्म नितिष्ठन्नात्मनोनरइत्यादि 6 वाक्यं 7 माध्यंदिनबृहदारण्यके 8 एतयोर्जडजीवयोस्तस्यब्रह्मणःशरीरभूतत्वं 9 यस्यपृथ्वौशरीरमित्या दिभिर्जडस्ययस्यविज्ञानं शरीरंयस्यआत्माशरीरमितिजीवस्य 10 अस्तीतिपृथग्वाक्यं ११इदमुत्तरान्वयि तेष्वीश्वरस्तुहरिरित्यर्थः नत्विहपदार्थत्रय स्यहरित्वं विधीयते द्वैतभंगापत्तेः

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