Book Title: Vedant Chintamani
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Page 41
________________ 13 // तेजःप्रकाशयो.दोनतेजरत्वाद्यथातथा // ब्रह्मणःशक्तिधर्माणांब्रह्मत्वेनभिदानहि // 14 ॥नभूमिर्गधतोभित नानगंधोभूमितःपृथक् // तद्वस्तुताहगेवेतिनद्वैतधर्मधर्मिणोः // 15 // अस्मिंस्त्वलौकिकचित्येऽद्वये दोनसर्वथा // सुविस्तृतमिदंभाष्येश्रीविद्वन्मंडनेतथा // 16 // माध्वाचार्याइहमाहर्जगत्कर्ताकलालवत्॥ भिन्नोनिमित्तमेवेशोवि कारात्समवायिनः // 17 // प्रकनिःस्यादुपादानंतत्तंत्रास्यजस्यत् // प्रकति_स्योपादानमितिभागवतोक्तितः // E18 // ब्रह्मणोजडजीवानांद्वैतमेवास्तिवास्तवम् // जीवब्रह्मभिदांवक्तिद्वासुपर्णाश्रुतिर्यतः॥ 19 // इतिचेच्या तामुक्त्वासूत्ररुह्मकारणम् // जन्माद्यस्येतिसूत्रेणकेवलंन निमित्तता // 20 // समवायित्वमप्यस्येत्याहतत्तुसमन्व यात् // रत्यभावोनयुज्येतनवरेमेश्रुतीरितः // 21 // अस्यैवाग्रेसहैतावानासेतिसमवायिता // पठ्यतेसमवायि / / त्वतैत्तिरीयादिषुस्फुटम् // 22 // असद्वाइदमयआसीत् // ततोवैसदजायत // तदात्मान स्वयमकुरुत।। तस्मात्तत्सुकत / समिति।आत्मानमित्यपादानंनिमित्तमकरोदिति॥ अभावोऽन्यनिमित्तस्यस्वयमित्यभिधीयते // २३॥ऐतदात्म्यमिदंसर्व / / आत्मैवेदंसर्वं // सर्वैखल्विदंब्रह्म। पुरुषएवेद:सर्व॥ यद्भूतंयच्चभव्यम्||श्रुतिभिःस्मृतिभिःप्रोक्ताजगतोब्रह्मरूपता|बाध्येत / प्रकृतिस्त्वाविरासास्यांश:सदात्मकः // 24 // अतस्त्वदुक्तवाक्येऽपिब्रह्मतत्रितयंत्वहम् ॥प्रकृतेःपुरुषस्यापिकालस्यहरि 1 ईश्वराधीना 2 जगत; 3 कारणसाधर्म्यादितिभावः 4 मुंडके पेंगिरहस्यब्राह्मणेचेदं 5 अकुरुतेत्यस्यार्थिकोनुवादः 6 दंडादितुल्यस्य 7 प्रतिहस्योपादानमितिवाक्ये 8 प्रकृति: पुषरुः कालश्चेति

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