Book Title: Vedant Chintamani
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Page 39
________________ -- - --- नते // 50 // तस्योपाधिवशातत्त्वेनिर्विशेषविकल्पतां // ब्रह्मणोबाधतेयासानश्येत्तज्ज्ञानतःकथं // 51 // न्यायात्न क्षालनाद्धीतियध्यारोपापवादतः // धर्माणांलोकसिद्धानामपवादोऽस्तुकेवलं // 52 // मायागुणोपासनाम्चेन्मुक्तिःस्या द्वेयताकुतः // ज्ञानोद्भवेपराद्धंवाकिमायारूपयास्त्रिया।। 53 ॥इत्यादिदूषणगणैस्तन्मतंश्रुत्यसंमतं ॥आचार्यैःप्रभुभिश्वार न्यविस्तरेणनिराकतम् // 54 // तस्माद्रतीच्छयासर्वशक्तिरीश्वरआत्मनः // सर्वमाविश्वकारेदमित्येवश्रुतयोऽवदन्।। 55 // श्रुत्योरुभयवादिन्योनिर्णयेप्राहसूत्रहत् // तद्यवस्थामिमामेवश्रुतिभिःसैवसिध्यति॥ 56 / / (अ०३पा. २सू०२२) कतैतावत्त्वंहिप्रतिषेधतिततोब्रवीतिचभूयः॥ कर्ताधर्ताचोक्ताचनिहंतापिसएवहि // अहंसर्वस्यसइमाल्लोकानसृज तित्यपि // 57 ॥सर्वक सर्वभोक्ता भोक्तामहेश्वरः // असिभ्रियमाणोबिनीत्यादिवचोभरैः // 58 // स्वातं व्यंयुज्यतेकर्तःसृष्टोस्वातंत्र्यमीशितुः / / मायायास्तस्यशक्तित्वात्करणत्वपुराणतः // 59 // धर्माविर्भावतःस्वस्याप्राकता मत्वसिद्धये // पूर्वससेव्यतेजातेतादृत्वे निश्वलंपुनः॥६॥ अजानंस्तस्यमाहात्म्यनवसेवेतकश्चन // इतिमाहात्म्यबो धायपरत्ताःश्रुतयोऽखिलाः // 61 // (मुंडके ) दिव्योलमूर्तःपुरुषःसबाह्याभ्यंतरोयजः॥ अप्राणोझमनाःशुभ्र तिदिव्यस्त्वलौकिकः।।६२॥अजन्माऽप्राकततनुःशुद्धःप्राणीतरोऽमनाः॥पाणिनिःप्रारुतैःसेव्योऽशुद्धैन्यूँनैर्मनोवशैः॥६॥ यस्याऽप्राकृतधर्माआत्माभिन्नाश्वशक्तयःसर्वाः / सर्वांशभेदहीनलक्ष्मीनंभजमनोभवद्दीनम् // 64 // ॥इति 1. १कामादिमचे 2 मक्षालनाद्धिपकस्यदूरादस्पर्शनवर ---- - --

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